ईरान में महिलाओं को कई कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। वो अपने तरीके से इसका विरोध भी करती हैं लेकिन बदलाव आने में अभी वक्त है। अगर यहां उनपर स्टेडियम में फुटबॉल मैच देखने पर बैन है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो फुटबॉल मैच नहीं देखेंगी।
ईरान की ये कुछ महिलाएं इस बैन को चकमा देना खूब जानती हैं। अब तक वो आदमियों के कपड़े पहनकर और चेहरे को टीम के रंग में रंगकर स्टेडियम में घुसती रही हैं लेकिन अब कुछ महिलाओं ने नए लेवल का ट्रिक अपनाया है।
दाढ़ी-मूंछ और मेकअप का सहारा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया पर ज़हरा नाम की महिला ने अपनी आदमियों के भेष में अपनी फोटो डाली है, जो काफी वायरल हो रही है। ज़हरा ने स्टेडियम में घुसने और सिक्योरिटी की नजर से बचने के लिए दाढ़ी-मूंछ और भौंहों का इस्तेमाल किया। यहां तक कि उन्होंने अपने फीचर आदमियों जैसे दिखाने के लिए मेकअप का भी सहारा लिया।
लोकल मीडिया की मानें तो ये तस्वीर 29 दिसंबर की है। रिपोर्ट है कि ज़हरा तेहरान की पर्सेपोलिस एफसी टीम की फैन हैं। वो 29 दिसंबर को तेहरान के तेरकटोर क्लब में तबरीज सिटी के खिलाफ हुए मैच को देखने के लिए स्टेडियम में घुसी थीं। ज़हरा के इस मूव ने लोकल मीडिया में इस बहस को फिर शुरू कर दिया है कि महिलाओं को फुटबॉल देखने की छूट होनी चाहिए।
इसके पहले भी ऐसी ही एक दूसरी महिला शबनम ने भी यही ट्रिक अपनाया था। लेकिन शबनम ने असली दाढ़ी की बजाय मेकअप से अपने फेस पर दाढ़ी को पेंट किया था। अपने पूरे फेस को उन्होंने भी ज़हरा की तरह अपनी टीम के रंग से रंग रखा था।
शबनम ने अपनी फोटो वायरल होने के बाद एक इंटरव्यू में कहा कि वो अपने दोस्त के साथ लड़कों जैसे दिखने के लिए कई तरीके ट्राई कर रही थीं। उन्होंने अपने नाखून काट डाले, चेहरे पर गहरा रंग लगाया और विग लगाया। उन्होंने ये भी बताया कि दाढ़ी का कलर उनके चेहरे पर 2 दिनों तक रहा था।
‘लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता‘
बता दें कि ईरान में महिलाओं को स्टेडियम में मैच देखने पर मनाही है। इसके पीछे तर्क है कि स्टेडियम का माहौल महिलाओं के लिए सही नहीं है। और प्रशासन उन्हें सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है। लेकिन शबनम इस बात को खारिज करते हुए कहती हैं कि स्टेडियम में जब लोग नोटिस करते हैं कि वो लड़की हैं, तो उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि वो और सम्मान के साथ पेश आते हैं।
2013 से हसन रूहानी के सत्ता में आने के बाद से ही महिलाओं के स्टेडियम में जाने का अधिकार देने की बात हो रही है लेकिन फिलहाल रुढ़िवादियों के आगे ये अभी तक संभव नहीं हो पाया है। 1979 के ईरानी क्रांति के बाद से ही देश में महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध थोप दिए गए थे, इनमें से किसी भी पुरुषों के खेल को महिलाएं नहीं देख सकतीं, खासकर स्टेडियम में तो बिल्कुल नहीं।
महिलाओं के लिए नई शुरुआत?
इस क्रांति के दौरान महिलाओं को जो सबसे बड़ा प्रतिबंध झेलना पड़ा था- वो था बुर्का। ईरानी महिलाओं को जबरदस्ती बुर्का पहनने को मजबूर किया गया। इसके साथ ही महिलाओं पर ये भी प्रतिबंध थे कि वो किसी अपोजिट सेक्स के साथ सड़क पर नहीं चल सकतीं। यहां तक कि क्रांति के बाद सड़कों पर रिवॉल्यूशनरी गार्ड घूमते थे, जो ये चेक करते थे कि महिलाओं ने खुद को ठीक तरह से ढंका है या नहीं, या फिर उनके साथ चल रहे पुरुष से उनका रिश्ता क्या है। उन्हें ड्रेस कोड तोड़ने पर हिरासत में तक लिया जा सकता था।
हालांकि, पिछले दिसंबर में महिलाओं को बड़ी राहत मिली है। अब ईरानियन पुलिस ने ड्रेस कोड का उल्लंघन करने पर महिलाओं को हिरासत में न लेने का फैसला लिया है।
 
					 
							 
			 
                                 
                             