सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को बीते हफ्ते पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने गोयल की नियुक्ति से संबधित फाईल को कोर्ट के समक्ष सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि आप सही हैं, जैसा आप दावा भी कर रहे हैं तो कोई हां न नहीं होनी चाहिए, आपको डरना नहीं चाहिए।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक देश में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सुधार की मांग वाली एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सरकार से आयुक्त की नियुक्ति की फाईल कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। पांच जजों की इस संविधान बेंच की अगुवाई जस्टिस केएम जोसेफ कर रहे हैं, इसमें न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सी टी रविकुमार शामिल हैं।
अदालत में वकील प्रशांत भूषण ने दायर की है याचिका-
अदालत ने इस संबध में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि को बताया कि उनके पास इस मामले में वकील प्रशांत भूषण की एक याचिका आई है जिसमें उन्होंने मई से चुनाव आयुक्त के खाली पद को भरने के खिलाफ अंतरिम आदेश की मांग की हुई है।
अदालत के अनुसार उन्होंने ये माला पिछले गुरवार को सुना था जिसमें प्रशांत भूषण ने कहा था कि यह एक अंतरिक आवेदन है, फिर इस पर अगली सुनवाई कल हुई थी, हम आपसे चाहते हैं कि इस नियुक्ति की फाईल आप कोर्ट के समक्ष पेश करें। अगर आप अपने दावे के अनुसार सही हैं तो आपको फाईल पेश करने में कोई संकोच होना नहीं चाहिए।
सरकार बोली अगली सुनवाई में फाईल सौंप देंगे-
पांच जजों की पीठ ने कहा कि हम उस प्रक्रिया को जानना चाहते हैं जिसका पालन इस अधिकारी की नियुक्ति में किया गया है। सरकार ने इसके जवाब में गुरुवार को अगली सुनवाई के दौरान अदालत के सामने फाईल पेश करने की बात कही है।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि इस नियुक्ति के पीछे क्या तंत्र इस्तेमाल किया किया गया, क्या इस नियुक्ति को तब किया जा सकता है जब एक कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा हो? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नियुक्ति करने को लेकर अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया है।
अटॉर्नी जनरल के जवाब पर न्यायमूर्ति जोसेफ ने सहमति जताते हुए कहा कि हां ऐसा कोई आदेश हमारी तरफ से नहीं था, लेकिन हम यहां नियुक्ति पर फैसले लेने नहीं बैठे हैं। बावजूद इसके हम जानना चाहते हैं कि सब-कुछ ठीक-ठाक चल रहा है या नहीं, जैसा कि आप दावा भी कर रहे हैं कि सब कुछ सही चल रहा है, तो फिर डरने की कोई बात नहीं है।
एजी ने सुप्रीम कोर्ट में बताई चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया –
अदालत ने इसपर अटॉर्नी जनरल से पूछा है कि कोई विशेष प्रक्रिया का इस्तेमाल नियुक्ति में हुआ है या फिर मंत्रीपरिषद की सिफारिश पर इस नियुक्ति को किया गया है। इससे पहले भी अदालत केंद्र से गोयल की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल कर चुकी है।
इसपर एजी कोर्ट को जवाब देते हैं कि सरकार इस प्रक्रिया में सचिवों के पद पर फिलहाल कार्यरत और इस पद से सेवानिर्वित हो चुके अधिकारियों की लिस्ट तैयार करती है। जिसके आधार पर एक पैनल बनाया जाता है जो इन नामों में से एक लिस्ट तैयार करता है देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समक्षपेश करने के लिए। प्रधानमंत्री के द्वारा पैनल द्वारा तय किए गए नामों में से सिफारिश करने के बाद इन्हें देश के राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है। हम इस तरह इस प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं।
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एजी ने अदालत में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अभी वरिष्ठता के आधार पर होती है, दो चुनाव आयुक्तों में से जो वरिष्ठ होता है वो वरिष्ठ सीईसी (चीफ इलेक्शन कमिश्नर) बन जाता है। ये सब समय के आधार पर होता है, इसमें किसी को चुनना और किसी को छोड़ना, ऐसा नहीं होता है।
सुप्रीम कोर्ट के प्रक्रिया में मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने के सुझाव पर केंद्र का इंकार-
इससे पहले मंगलवार को पीठ ने सुझाव दिया था कि जो कमेटी देश के मुख्य चुनाव आयुक्त को तय करती है उसमें देश के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जा सकता है, जिससे साबित किया जा सके कि इस प्रक्रिया में निष्पक्षता बरती गई है। इसका विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि यहां इस प्रक्रिया के मौजूदा फोर्मेट को लेकर कोई विरोध नहीं है। हां चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को लेकर कुछ बातें जरुर हैं लेकिन ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है जिसमें नियुक्ति पर सवाल हो।