बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा का तांडव देखने को मिला है। रविवार की सुबह से शुरू हुई यह हिंसा अब पूरे देश में फैल चुकी है। इस हिंसा में अब तक 98 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 14 पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं। सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
हिंसा की जड़: क्या है विरोध का कारण?
प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर, सत्ताधारी पार्टी के समर्थक भी सड़कों पर उतर आए हैं। दोनों पक्षों के बीच झड़प ने हिंसा का रूप ले लिया है।
सरकार का कड़ा रुख-
हालात को देखते हुए सरकार ने कुछ कड़े कदम उठाए हैं:
1. मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है।
2. अनिश्चितकाल के लिए देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया है।
भारत सरकार की चेतावनी-
भारत सरकार ने अपने नागरिकों को बांग्लादेश की यात्रा न करने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करके कहा है:
“भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे अगली सूचना तक बांग्लादेश की यात्रा न करें। जो लोग वहां हैं, उन्हें सतर्क रहने और अपनी गतिविधियों को सीमित रखने की सलाह दी जाती है।”
पुलिस पर हमला-
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 14 पुलिसकर्मियों की जान चली गई है। इनमें से 13 सिराजगंज के एनायतपुर पुलिस स्टेशन में और एक कोमिला के एलियटगंज में मारे गए।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमारे 300 से ज्यादा साथी घायल हुए हैं। हम स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहे हैं।”
देश ठप-
हिंसा के कारण बांग्लादेश की रेल सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई हैं। गारमेंट फैक्ट्रियां भी बंद हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।
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“लॉन्ग मार्च टू ढाका”
प्रदर्शनकारियों ने आम जनता से “लॉन्ग मार्च टू ढाका” में शामिल होने की अपील की है। यह मार्च आज होने वाला है। सरकार ने इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
क्या होगा आगे?
बांग्लादेश की यह स्थिति चिंताजनक है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर नजर रखे हुए है। भारत, जो बांग्लादेश का पड़ोसी देश है, स्थिति पर करीब से नज़र रख रहा है।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “यह बांग्लादेश के लिए एक कठिन समय है। सरकार और विरोधी पक्षों को बातचीत के जरिए समाधान निकालना होगा। हिंसा किसी के हित में नहीं है।”
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश इस संकट से कैसे निपटता है। क्या शेख हसीना सरकार इस चुनौती का सामना कर पाएगी या फिर विरोधियों की मांगें पूरी होंगी? यह समय ही बताएगा।
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