किरेन रिजिजू के जजों की नियुक्ति को लेकर दिए गए बयान को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। एक टी वी डिबेट में कुछ दिनों पहले किरण रिजिजू ने कहा था, कि अगर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम को लगता है कि उसकी सिफ़ारिशों में सरकार की ओर से कोई फ़ैसला नहीं लिया जा रहा है। तो जजों की नियुक्ति पर वह नोटिफिकेशन जारी कर दें। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस टिप्पणी का ज़िक्र हुआ तो अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया। अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि से जस्टिस एसके कौल ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। यह ग़लत बात है।
जब अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि जो जानकारी सोशल मीडिया पर प्रकाशित होती है वह कभी-कभी गलत भी हो सकती है। इस पर कोर्ट ने जब जवाब देते हुए कहा कि यह कोई प्रेस नोट नहीं है यह उच्च पद पर बैठने वाले व्यक्ति की हरकत है। कानून मंत्री ने यह तक कह दिया कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के लिए एक प्रकार से “एलियन” है।
2023 के बजट में 400 नई वंदे भारत ट्रेनों की हो सकती है घोषणा
जो विशेष रूप से सबसे अलग है सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि जजों नियुक्ति के लिए कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है। जस्टिस एस के कौल ने कहा कि मानो अब तो ऐसे प्रतीत होता है कि राष्ट्रीय नियुक्ति आयोग को मंजूरी न मिलने पर सरकार नाराज है यदि आप नामों को अधिक दिनों तक रोकोगे तो स्थिति अच्छी नही होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को 8 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। किरेन रिजिजू ने यह तक कह दिया कि जब 1991 से पहले न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती थी तो वह सरकार के द्वारा की जाती थी। उन्होंने यह प्रश्न किया कि ‘कोई भी चीज जो केवल अदालतों या न्यायाधीशों द्वारा लिए गए फैसले के कारण संविधान से अलग है, आप कैसे उम्मीद कर सकते है कि उससे देश सहमत होगा।