India’s Tax Policy: भारत के टैक्स सिस्टम को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई है। पूर्व IMF कार्यकारी निदेशक सुरजीत भल्ला ने एक इंटरव्यू में कहा, कि भारत में लोगों पर टैक्स का बोझ दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में ज्यादा है। IMF, OECD और विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उन्होंने बताया कि भारत का टैक्स-टू-जीडीपी रेशो, जिसमें राज्य, स्थानीय और केंद्रीय कर शामिल हैं, वर्तमान में 19% से अधिक है।
पूर्वी एशियाई देशों से तुलना(India’s Tax Policy)-
भल्ला ने चीन और वियतनाम जैसी पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का उदाहरण देते हुए कहा, कि वहां यह अनुपात केवल 14.5% है। उन्होंने सवाल उठाया, “चीन हमसे तेज गति से विकास कर रहा है और पूर्वी एशिया ने भी शानदार प्रदर्शन किया है। हमें उनकी टैक्स नीतियों को समझना चाहिए। हम कोरिया और अमेरिका के स्तर पर क्यों हैं, जो हमसे करीब 10 गुना अमीर हैं?”

विदेशी निवेश में गिरावट(India’s Tax Policy)-
अर्थशास्त्री ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के रुझानों पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि 2014 में भारत में FDI जीडीपी का 2.5% था, जो दुनिया में सबसे अधिक में से एक था। लेकिन पिछले साल यह घटकर 0.8% हो गया, जो 1990 के दशक के मध्य के बाद का सबसे निचला स्तर है।
बुनियादी ढांचे में प्रगति-
भल्ला ने बुनियादी ढांचे के विकास में सफलता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कहानी बेहद सफल रही है। सड़कें, स्वच्छता, बिजली, पानी की आपूर्ति – हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति हो रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विकास के अन्य कारकों पर ध्यान देने की जरूरत है।
मध्यम वर्ग के लिए टैक्स राहत की मांग-
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने खपत को बढ़ावा देने के लिए 20 लाख रुपये तक की आय पर कर दर कम करने का सुझाव दिया है। PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स के CEO रणजीत मेहता ने एक पुनर्गठित कर स्लैब का प्रस्ताव रखा है, जिसमें 50 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% और 15-50 लाख रुपये के लिए 20-25% की दर शामिल है।

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विशेषज्ञों की राय-
इन्फोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पई ने मध्यम वर्गीय करदाताओं के लिए कर स्लैब को सरल बनाने की सिफारिश की है। वित्त प्रभावक अक्षत श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में उच्च कराधान करदाताओं के बीच भारी असंतोष पैदा कर रहा है। उन्होंने करों में कटौती और आधार को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी, जिसमें इन मुद्दों पर सरकार का रुख स्पष्ट हो सकता है।
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