Nagpur Violence: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि 17 मार्च को नागपुर में हुई हिंसा में विदेशी या बांग्लादेशी कोण की बात करना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि मामले की जांच अभी चल रही है। फडणवीस ने नागपुर पुलिस भवन में महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की मौजूदगी में हुई बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही।
उन्होंने कहा, “मैंने हर विवरण पर गौर किया है और अपने विचार भी रखे हैं। जब यह घटना हुई, उस दिन औरंगजेब की एक प्रतीकात्मक कब्र को जलाया गया था। इस घटना के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी। हालांकि, कुछ लोगों ने पॉडकास्ट और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से अफवाहें फैलाईं कि एक पवित्र ‘चादर’ को जलाया गया था।”
हिंसा का खौफनाक मंजर-
फडणवीस ने आगे बताया, “बाद में दंगाइयों ने पत्थरबाजी की, वाहनों में आग लगा दी और नागपुर में दुकानों पर हमला किया। हालांकि, पुलिस ने 4-4.5 घंटों के भीतर स्थिति को नियंत्रण में ला लिया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास किया। लेकिन, इस घटना में तीन डीसीपी स्तर के अधिकारियों सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।”
मुख्यमंत्री के अनुसार, 11 नाबालिगों सहित 104 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और पुलिस अधिक लोगों को गिरफ्तार करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल से दंगे भड़काने में मदद की, उन्हें भी सह-आरोपी के रूप में नामित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 68 भड़काऊ पोस्ट सामने आए हैं और उन्हें हटा दिया गया है।
VIDEO | Nagpur violence: Briefing the media in Nagpur, Maharashtra CM Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) says, "I have chaired a high-level meeting over the violence here, which was also attended by state minister Chandrashekhar Bawankule. I have looked into every detail and… pic.twitter.com/csXqBKG8W1
— Press Trust of India (@PTI_News) March 22, 2025
क्या हुआ था 17 मार्च को?
17 मार्च की घटना नागपुर के लिए बेहद दुखद रही। एक तरफ जहां औरंगजेब की प्रतीकात्मक कब्र को जलाने की घटना हुई, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। कुछ लोगों ने फैलाया कि एक पवित्र ‘चादर’ को जलाया गया है, जिससे तनाव बढ़ गया। इसके बाद क्या हुआ, यह पूरे शहर ने देखा। दंगाइयों का समूह सड़कों पर उतर आया और पत्थरबाजी शुरू कर दी। कई वाहनों में आग लगा दी गई और दुकानों पर हमले किए गए। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को भारी बल तैनात करना पड़ा।
पुलिस की सतर्कता से मिली सफलता-
फडणवीस ने पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सतर्कता और त्वरित कार्रवाई के कारण स्थिति को जल्द ही नियंत्रण में ले लिया गया। “मुझे गर्व है कि हमारी पुलिस ने कुछ ही घंटों में स्थिति को संभाल लिया। हालांकि, इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें तीन डीसीपी स्तर के अधिकारी भी शामिल थे,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी सूरत में दंगाइयों को बख्शेगी नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा, हमने अब तक 104 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनमें 11 नाबालिग भी शामिल हैं। इसके अलावा, हम और अधिक लोगों को गिरफ्तार करने की योजना बना रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट का मुद्दा-
फडणवीस ने सोशल मीडिया पर हिंसा भड़काने वाले पोस्ट के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा, “हमने 68 भड़काऊ पोस्ट की पहचान की है और उन्हें हटा दिया है। जो लोग इन पोस्ट के पीछे हैं, उन्हें भी दंगे के सह-आरोपी के रूप में नामित किया जाएगा।” उन्होंने जोर देकर कहा, कि सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाने और समाज में तनाव पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। “आज के समय में सोशल मीडिया एक शक्तिशाली माध्यम है, और इसका दुरुपयोग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा,” फडणवीस ने कहा।
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जांच जारी, जल्दबाजी से निष्कर्ष नहीं-
हालांकि, फडणवीस ने हिंसा में किसी विदेशी या बांग्लादेशी कोण की संभावना के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा। उन्होंने कहा, “अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। जांच चल रही है और हम सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। जैसे ही हमें कोई ठोस सबूत मिलेगा, हम जनता के साथ साझा करेंगे।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ मामले की जांच कर रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी समुदाय या राजनीतिक संगठन से संबंधित हों। इस बैठक में महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के अलावा, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य सरकारी अधिकारी भी मौजूद थे। बावनकुले ने भी हिंसा की निंदा की और कहा कि शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए सभी समुदायों को साथ आना चाहिए।
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