दिल्ली के प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख काफी सख्त नजर आ रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को साफ शब्दों में कहा है कि आप सोशल मीडिया पर अपना अकांउट खोले जहां लोग प्रदूषण को लेकर शिकायत दर्ज कर सकें।
मतलब साफ है सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि लोग प्रदूषण के हर छोटे बडे मामले की शिकायत सोशल मीडिया के माध्यम से करें ताकि प्रदूषण का स्तर कम किया जा सके। कोर्ट ये भी चाहता है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आम लोगों तक अपनी पहुंच बना सके जिससे वो आसानी से प्रदूषण की शिकायत बोर्ड तक पहुंचा सके। इसके लिए सोशल मीडिया ही सबसे सरल और उपयुक्त माध्यम है।
सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला मंदिर मामले की तरह राम मंदिर पर भी अपना फैसला दे: योगी
दिल्ली के प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख काफी सख्त नजर आ रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को साफ शब्दों में कहा है कि आप सोशल मीडिया पर अपना अकांउट खोले जहां लोग प्रदूषण को लेकर शिकायत दर्ज कर सकें।मतलब साफ है सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि लोग प्रदूषण के हर छोटे बडे मामले की शिकायत सोशल मीडिया के माध्यम से करें ताकि प्रदूषण का स्तर कम किया जा सके। कोर्ट ये भी चाहता है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आम लोगों तक अपनी पहुंच बना सके जिससे वो आसानी से प्रदूषण की शिकायत बोर्ड तक पहुंचा सके। इसके लिए सोशल मीडिया ही सबसे सरल और उपयुक्त माध्यम है।सोशल मीडिया की ताकत सुप्रीम कोर्ट समझ रहा है लेकिन सरकारी विभाग अक्सर जवाबदेही से बचने के लिए इससे दूरी बनाए रखते हैं। वे केवल ऑफलाईन ही शिकायत का प्रावधान रखते हैं। ऐसे में अगर कोई फिर भी अपना कामकाज छोडकर वहां चला भी जाए तो वो उसे चक्कर कटवा देते हैं और शिकायत लेने में आनाकानी करते हैं। लेकिन प्रदूषण जैसे गंभीर मसले पर सुप्रीम कोर्ट का प्रदूषण विभाग को ऐसे जगाना ठीक था क्योंकि सिर्फ प्रदूषण के आंक़डे मुहैया कराना ही प्रदूषण विभाग का काम नहीं है।सुप्रीम कोर्ट दिल्ली परिवहन विभाग पर भी सख्त हुआ है। कोर्ट ने परिवहन विभाग से कहा है कि वो 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने डीजल वाहनों की सूची अपनी वेबसाईट पर डाले। जिससे उन्हें इमपांउड किया जा सके। साफ है कोर्ट प्रदूषण के सभी कारणों पर विचार कर रहा है सिर्फ पटाखों और पराली को मुद्दा नहीं बना रहा।
सोशल मीडिया की ताकत सुप्रीम कोर्ट समझ रहा है लेकिन सरकारी विभाग अक्सर जवाबदेही से बचने के लिए इससे दूरी बनाए रखते हैं। वे केवल ऑफलाईन ही शिकायत का प्रावधान रखते हैं। ऐसे में अगर कोई फिर भी अपना कामकाज छोडकर वहां चला भी जाए तो वो उसे चक्कर कटवा देते हैं और शिकायत लेने में आनाकानी करते हैं। लेकिन प्रदूषण जैसे गंभीर मसले पर सुप्रीम कोर्ट का प्रदूषण विभाग को ऐसे जगाना ठीक था क्योंकि सिर्फ प्रदूषण के आंक़डे मुहैया कराना ही प्रदूषण विभाग का काम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली परिवहन विभाग पर भी सख्त हुआ है। कोर्ट ने परिवहन विभाग से कहा है कि वो 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने डीजल वाहनों की सूची अपनी वेबसाईट पर डाले। जिससे उन्हें इमपांउड किया जा सके। साफ है कोर्ट प्रदूषण के सभी कारणों पर विचार कर रहा है सिर्फ पटाखों और पराली को मुद्दा नहीं बना रहा।
SC asks Central Pollution Control Board to open social media account where citizens can complain regarding pollution in Delhi. SC asks Delhi transport dept to add on its website,list of more than 10 yr old diesel&more than 15 yr old petrol vehicles so that they can be impounded. pic.twitter.com/eRctUNJQkV
— ANI (@ANI) October 29, 2018