अजय चौधरी

कल खट्टर जी अपने ही नेता की गर्दन काटने को उतारु हो गए थे, इस पर कुछ लोग नाराज हैं, कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री को माफी मांग लेनी चाहिए। पर मेरे अनुसार खट्टर जी को माफी मांगने की कोई जरुरत नहीं है। क्योंकि खट्टर जी को पता है 75 पार होगा और मुख्यमंत्री भी वो ही रहेंगे। फिर क्यों बेमतलब में माफी मांगी जाए? वो तो बस अपना विजय रथ लेकर घूम रहे हैं। फिर बताओ माफी क्यों मांगी जाए? जब 370 और मोदी जैसा ब्रह्मास्त्र मयान में हो तो माफी किस बात की ?
खट्टर जी माफी नहीं मांगेगें ये तय भी था, लेकिन ब्राह्मण समाज उनसे खासा नाराज है, क्योंकि मुख्यमंत्री महोदय से गर्दन काटने की धमकी सुनने वाले नेता हर्षमोहन भारद्वाज इसी समाज से आते हैं। ये खबर जब मैंने पहली बार सुनी तो कानों पर भरोसा नहीं हुआ, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडा एक ब्रह्मचारी मुख्यमंत्री ऐसा बोल ही नहीं सकता। फिर वीडियो चलाकर देखी तो भरोसा हुआ। कई बार वीडियो रिपीट की ये जानने के लिए कि मुख्यमंत्री जी को एकदम से गुस्सा क्यों आया। फिर समझ आया वो फरसा हाथ में लेकर अपनी पर्फोमेंस दे रहे थे और कह रहे थे कि दुश्मनों का नाश करने के लिए…. इतने अच्छे डायलॉग के बीच कोई पीछे से तंग कर देगा ये उन्होंने सोचा भी न था। मुकुट चांदी का था या कागज का ये तो मुख्यमंत्री देख भी नहीं पाए। बस बीच में छेडने वाले को गर्दन काटने की बात कह डाली। ये भी भूल गए की माईक ऑन है और सबकुछ नीचे भी वैसे ही सुनाई देगा। इससे पहले मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम में पैर छूने के बहाने सेल्फी लेने वाले कार्यकर्ता का हाथ झटक दिया था। लेकिन तब मुख्यमंत्री का कोई बोल रिकोर्ड नहीं हुआ था। जो अब हो गया।
Video: हाथ में फरसा लेकर अपनी ही पार्टी के नेता से बोले सीएम खट्टर- ‘गर्दन काट दूंगा तेरी’
मुख्यमंत्री को ये सब होने से एहसास तो हुआ कि कुछ गडबड़ हो गई है लेकिन उसकी भरपाई कैसे की जाए? माफी तो मांगनी नहीं। इसलिए ट्वीटर पर ट्वीट कर साफ कर दिया- “सोने-चांदी के मुकुट पहनाने की राजनीति से बड़ी मुश्किल से हमने हरियाणा का पीछा छुड़ाया है इसलिए जैसे ही कोई व्यक्ति सोने- चांदी का चढ़ावा चढ़ाने की कोशिश करता है तो मुझे बहुत बुरा लगता है। मुझे लगता है जैसे कोई मेरी दशकों की तपस्या को भंग कर रहा है।”
मतलब समझने की कोशिश कीजिए फरसा फहराते हुए दुश्मनों का नाश करने की बात कहने वाले मुख्यमंत्री की उस समय कैसी तपस्या भंग हो रही थी? हरियाणा के कंवारों के लिए कश्मीरी बहु लाते हुए दशकों की तपस्या भंग क्यों नहीं हुई? केजरीवाल राजनीति में अलग तरह का बदलाव लाए थे अब तपस्वी मुख्यमंत्री अलग तरह का बदलाव लाकर रहेंगे लेकिन माफी नहीं मांगेगे। तपस्या भंग करने वाले पापी की गर्दन काटने की बात कहकर क्या गलत कह दिया भला?