अमेरिका की फौज अब चिनूक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल नहीं करेगी। वहां की सेना 1960 दशक से इनका इस्तेमाल कर रही है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंजन में आग की शिकायतों के बाद सेना ने इन्हें अपने बेड़े से बाहर करने का फैसला लिया है। वहीं भारत अभी इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रहा है।
इस खबर को सबसे पहले दिखाने वाले वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक ये यूएस आर्मी द्वारा ये कदम सावधानी को देखते हुए उठाया गया है ताकि भविष्य में ये आग किसी हादसे में परिवर्तित न हो। वहीं भारत के पास 15 के करीब सीएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर हैं। भारतीय वायुसेना इनका इस्तेमाल लद्दाख और सियाचिन के ग्लेशियर जैसे स्थानों पर एयरलिफ्ट ऑपरेशनों में कर रहा है। ये भारत के प्रमुख सैन्य उपकरणों में से एक भी माने जाते हैं।
भारत ने फरवरी 2019 में चिनूक हेलिकॉप्टरों की पहली खेप प्राप्त की थी। 2020 में बॉइंग ने कुल 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों की डिलिवरी पूरी की थी जिन्हें अब भारतीय वायुसेना द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल को अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी सेना को इन हेलिकॉप्टरों के इंजन में कम संख्या में हुए आग के हादसों के बारे में पता था, लेकिन ये घटनाएं कभी चोट या मौत के हादसों के रूप में परिवर्तित नहीं हुई।
अधिकारियों के मुताबिक हाल ही के दिनों में इन हेलीकॉप्टरों में आग की घटनाएं सामने आई हैं इसलिए अमेरिकी सेना मटेरियल कमांड ने सैकड़ों हेलीकॉप्टरों को अपने बेडे से एक झटके में बाहर कर दिया है।
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हालांकि इस मामले में सेना के अधिकारी अभी 70 हेलीकॉप्टरों की जांच कर रहे हैं और उस हिस्से का पता लगाने में वो जुटे हैं जिसकी वजह से इंजन आग पकड़ रहा था।
वॉल स्ट्रीट के मुताबिक भारी समान को लाने- ले जाने में सक्षम चिनूक हेलिकॉप्टरों को बेडे से बाहर करना के कारण अमेरिकी सेना लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना कर सकती है, ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि ये आदेश कितने समय तक लागू रहता है। अमेरिका सेना के बेडे में ऐसे करीब 400 हेलीकॉप्टर हैं।