सनातन धर्म में सुबह और शाम की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है, क्योंकि सनातन धर्म में हर पहर की पूजा का एक अलग महत्व होता है। ब्रह्म मुहर्त से लेकर सूर्यास्त के पहर तक की पूजा अपने एक अलग महत्व को दर्शाती हैं। इसके साथ ही विशेष समय पर की गयी पूजा-अर्चना से विशेष लाभ प्राप्त होता है और नियमित रूप से की गयी पूजा पाठ से मन को शांति, सकारात्मक ऊर्जा और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
इसी कड़ी में जब हम धर्म और शास्त्रों के अनुसार, पूजा करते हैं तब देवी-देवताओं की विशेष कृपा होती हैं जिसे घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, और शांति का वास होता है, लेकिन पूजा करते समय हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है वरना पूजा से पुण्य या लाभ मिलने की जगह हमें पाप और नुकसान मिल सकते हैं। खास कर शास्त्रों में शाम के समय की पूजा का विशेष उल्लेख किया गया है अगर इस पूजा में कोई गलती होती है, तो आपको लाभ की जगह नुकसान उठाना पड़ सकता है। चलिए आज आपको बताते हैं कि शाम के समय पूजा करते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
फूल को चढ़ाना-
सनातन धर्म में पूजा-अर्चना करते समय भगवान कि मूरत पर फूलों को चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। फूलों को लेकर ऐसा माना जाता है कि जब हम भगवान की मूरत पर फूल चढ़ाते हैं, तब परमात्मा हम से खुश होकर हमारे जीवन में भी फूलों की तरह खुशियाँ और रंग भर देते हैं। लेकिन पूजा में भगवान को फूल अर्पित करने के समय का भी उल्लेख किया गया हैं, जिसके अनुसार शुभ के समय फूलों को अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है, जबकि शाम के समय भगवान को फूल अर्पित करना अशुभ माना जाता है।
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शंख को बजाना-
सनातन धर्म में पूजा के समय शंख को बजाना बहुत ही अच्छा माना जाता है। शंख को लेकर यह कहा जाता है कि शंख कि ध्वनि से नकरात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। लेकिन जब शाम कि पूजा के समय शंख बजाय जाता है तब इसका उल्टा असर होता है। जिसके चलते हमें शाम के समय कभी भी शंख नहीं बजाना चाहिए।
तिलक लगाना –
सुबह की पूजा करने के बाद तिलक को लगाना बहुत ही शुभ होता है। ऐसा माना जाता है, कि जब आप सुबह की पूजा के बाद तिलक लगते हो तो सारी सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करते हो। तब आप बहुत ही ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करते हो, लेकिन शाम की पूजा के बाद तिलक को लगाना अशुभ माना जाता है।
डूबता सूर्य की पूजा –
सनातन धर्म में सूर्य की पूजा का विशेष उल्लेख किया गया है। सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है की जब उगते सूरज की पूजा की जाती है तब आपको उस पूजा का विशेष लाभ मिलता है, क्योंकि उगता सूरज सकारत्मक ऊर्जा, सफलताओं, सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन का प्रतीक होता है और उगते हुए सूरज की पूजा करने से आपके जीवन में इन सभी चीजों का आगमन होता है। जबकि डूबता हुए सूरज की पूजा करने से घर और जीवन में दरिद्रता, क्लेश, अशांति का वास होता है। इसलिए शाम की पूजा करते समय इन सभी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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