किरण शर्मा
सावन का महीना आते ही शिव भक्तों की मंदिरों में कतारें लग जाती है। लोग पूरी आस्था से भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं ऐसे में शिव शंभू के महामृत्युंजय मंदिर को लेकर बेहद मान्यताएं है। माना जाता है, कि सावन के महीने में इस मंदिर में जो भी पूजा करने आता है उसे असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं बल्कि कहा जाता है, कि यहां अकाल मृत्यु से भी छुटकारा मिलता है।
इस मंदिर में स्वयंभू महामृत्युंजय स्थापित है जिस पर जल चढ़ाने से तमाम तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर की खासियत है, कि यहां स्थापित शिवलिंग अन्य दूसरे मंदिरों से बिल्कुल अलग है। रीवा के महामृत्युंजय मंदिर में 1,001 छिद्रों वाला शिवलिंग है जोकि विश्व के किसी भी दूसरे मंदिर में देखने को नहीं मिलता है।
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मिलती है हर रोग से मुक्ति-
पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि महादेव ने महा संजीवनी महामृत्युंजय के मंत्र की उत्पत्ति की थी जिसका रहस्य केवल माता पार्वती को पता था। महामृत्युंजय का जाप करने और भजन या पूजन करने से
महामारी, राजभय, अकाल मृत्यु और रोगों से छुटकारा मिलता है।
सावन के महीने में यहां हजारों की तादाद में लोग महामृत्युंजय के दर्शन करने आते हैं। हर सोमवार यहां भक्तों की भारी भीड़
देखने को मिलती है।
विशेष है यहां की शिवलिंग
इस मंदिर के निर्माण को लेकर कोई विशेष इतिहास नहीं है
लेकिन पुराणों और ग्रंथों में महामृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व माना जाता है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग बेहद खास है 500 साल पहले बघेल रियासत के महाराज ने महामृत्युंजय की अलौकिक शक्ति महसूस की थी जिसके बाद यहाँ मंदिर की स्थापना करवाई गई थी। इस मंदिर में तीन बार पूजा की जाती है और स्वयंभू महामृत्युंजय को बेलपत्र, शहद और फूल अर्पित कर आरती की जाती है।
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