कतर की एक अदालत गुरुवार को भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुना दी। भारत ने कहा, कि वह इस फैसले से बेहद ही हैरान है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। वहीं विदेश मंत्रालय ने कहा, कि नौसेना के इन आठ अफसरों को हर मुमकिन मदद मुहैया करने के लिए तैयार है। वहीं आपको बता दें, कि यह आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं, जिन्हें बीते साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया। कतर में भारतीय राजदूत रह चुके केपी फैबियन के अनुसार, उन्हें नहीं लगता कि नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को फांसी दी जाएगी। उन्होंने कहा, कि मुझे लगता है कि कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी आठ भारतीयों को माफी दे सकते हैं, कतर के अमीर साल में दो बार कैदियों को माफी देते हैं।
इसके साथ ही पूर्व राजदूत ने यह भी कहा, लेकिन यह भी जरूरी नहीं है क्योंकि इसके लिए आवेदन करना होगा। लेकिन उन्हें यकीन है कि यह सही समय पर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले काफी पेचीदा होते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें विश्वास है कि भारतीय नौसेना के पूर्व आठ जवानों को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। ऐसी स्थिति में पूर्व राजनयिक ने बताया कि कुछ साल पहले फिलीपींस के तीन नागरिकों में से एक को मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि दो आरोपियों को 25-25 साल की सजा सुनाई गई थी। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ था और जानकारियां फिलीपींस तक पहुंचनेे का आरोप था। इस मामले में अपील की गई और कोर्ट ने सजा कम करके आजीवन कारावास में बदल दि। जिसके साथ ही अपील करने पर द्वारा आरोपियों की 25 साल की सजा को कम करके 15 साल में तब्दील किया गया।
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कूटनीति में सब कुछ नहीं कहा जा सकता-
केपी फैबियन ने कहा कि हमारे पास सिर्फ दो ही रास्ते है पहला रास्ता की हम इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में लेकर जाए और दूसरा रास्ता की हम कतर के अमीर से अपील करें कि अगर हो तो आठ भारतीयों को माफ कर दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी चर्चाएं सार्वजनिक रूप से नहीं की जा सकती। इसमें कूटनीति काम करती है, लेकिन कूटनीति में सब कुछ खुलकर नहीं कहा जा सकता।
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