Badrinath Mandir: बसंत पंचमी के शुभ दिन पर राजदराबर में बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की घोषणा कर दी गई है। जी हां, उत्तराखंड में स्थित श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खोले जाएंगे, मंदिर समिति के प्रवक्ता ने बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर ये जानकारी दी। आपको बता दें कि चार धाम की यात्रा में एक बद्रीनाथ धाम भी शामिल है, जहां पर भगवान नारायण योग मुद्रा मे विराजमान हैं। साथ ही इस धाम को भू-वैकूंठ धाम के नाम से भी जाना जाता है, इस धाम को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान नारायण की पूजा 6 महीने मानव और 6 महीने देवताओं की ओर से उनके प्रतिनिधि नारद जी करते हैं, देव पूजा के दौरान यानी शीतकाल में बद्रीनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
बद्रीनाथ की मूर्ति को छूने का विशेष आधिकार-
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान नारायण की स्वंयभू मूर्ति स्थापित है,भगवान यहां योग मुद्रा में विराजमान हैं। बद्रीनाथ में केरल के पुजारी ही पूजा करते हैं, जिन्हें रावल कहते हैं। वहीं, मूर्ति छूने का विशेष अधिकार भी सिर्फ मुख्य पुजारियों के ही पास होता है।
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पूजा का अधिकार-
केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी केरल के नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं, इन्हें रावल कहा जाता है, जो कि आदि शंकराचार्य के वंशज है। रावलों द्वारा पूजा की जाने की व्यवस्था शंकराचार्य द्वारा स्वंय बनाई गई थी, वहीं अगर वह किसी कारणवश मंदिर में उपस्थित नहीं होते, तो डिमरी ब्राह्मणों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।
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