अजय चौधरीकहते हैं हजारों वर्ष लग जाते हैं किसी शहर को अपनी पहचान बनाने में हुकुमत एक पल भी नहीं लगाती नाम बदल देने में। गुडगांव का नाम बदला काफी शोर मचा, काफी तर्क वितर्क हुआ। पर इस बार तो बल्लभगढ की जनता को भनक भी न लगी उनके शहर का नाम बदला जा रहा है। सीएम ने रैली में आज इसकी घोषणा भी कर दी। गुडगांव की तरह न किसी आम जनता ने ज्ञापन सौंपा न मुद्दा उठा सीधा फरमान जारी।वो तो साइबर सिटी थी संभाल लिया अपने आप को । बल्लभगढ को न जाने कितने वर्ष लग जाएंगे बलरामगढ बन जाने में। वैसे बल्लभगढ का अपना इतिहास है। हरियाणा की सबसे पुरानी तहसीलों में से एक थी बल्लभगढ। राजा नाहर सिंह की नगरी और उनके संघर्ष का जीता जागता उदाहरण है बल्लभगढ। इसे बल्लु राजा की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां के लोग बडी शान से कहते थे कि वे बल्लू राजा की नगरी बल्लबगढ में रहते हैं।मगर हुकुमरानों ने आम जनता के दिल में क्या है ये जानना भी मुनासिब न समझा। बल्लभगढ के विधायक मूलचंद शर्मा ने प्रस्ताव रखा और मुख्यमंत्री ने मोहोर लगा दी। जरा भी सोचा न समझा। आखिर विकास की ऐसी कौनसी नदियां है जो नाम बदलने से बहती है।हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार को बल्लभगढ में आयोजित रैली में फरीदाबाद जिले की इस तहसील का नाम बदल बलरामगढ रखने की घोषणा की।
बल्लभगढ अब बलरामगढ
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