एक पांच साल की गुड़िया से दुष्कर्म से आपबीती जानने के लिए दिल्ली की निचली कोर्ट ने अनूठा तरीका निकाला। उसे एक गुड़िया दी गई। जिसके बाद बच्ची ने अपनी गुड़िया के निजी अंगों को छूकर जज को सच्चाई बताई। इस नई और अनूठी तकनीक की हाई कोर्ट ने प्रशंसा करते हुए निचली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दोषी की अपील खारिज कर दी। रोहिणी की कोर्ट ने दोषी हनी को पांच साल की सजा सुनाई थी।
मामले में बदनामी के डर से माता-पिता ने बच्ची की मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया था। इसी का फायदा उठाते हुए दोषी ने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका में कहा कि बच्ची के साथ किसी प्रकार की जोर-जबर्दस्ती नहीं की गई थी। उसके निजी अंगों पर नाखून के निशान नहीं मिले हैं। दोषी के वकील के तर्कों को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति ने कहा कि नाखून के निशान नहीं मिलने का यह कतई मतलब नहीं है कि बच्ची के साथ यह वारदात नहीं हुई है। हाई कोर्ट ने कहा कि पांच साल के एक बच्ची से आप इससे ज्यादा क्या उम्मीद कर सकते हैं। बच्ची के बयान को महज इस तर्क पर खारिज नहीं किया जा सकता कि उसके निजी अंगों पर दोषी के नाखून के निशान नहीं मिले थे।
दरअसल मामला बाहरी दिल्ली स्थित नरेला का हैं। जहां पीड़िता जुलाई 2014 को वारदात के दिन सुबह अपने भाई के साथ स्कूल जा रही थी। तभी 23 साल का आरोपी हनी उसके पास आया। बच्ची के भाई को 10 रुपए देकर उसे चॉकलेट लेने भेज दिया और उसे वह अपने साथ ले गया और दुष्कर्म का शिकार बनाया। वारदात को अंजाम देने के बाद वह बच्ची को घर के पास छोड़कर फरार हो गया।