तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस खेहर ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि तीन तलाक पर सरकार 6 महीने के अंदर कानून बनाए और तब तक तीन तलाक पर रोक रहेगी। यानि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी है।
जस्टिस खेहर ने कहा- तलाक-ए-बिद्दत संविधान के अनुच्छेद 14,15, 21 और 25 का उल्लंघन नहीं करता है। आपको बता दें कि अनुच्छेद 14 और 15 में हर नागरिक को समानता का अधिकार है। यानी जाति धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। जस्टिस ने कहा कि अगर इन 6 महीनों में कोई भी तलाक होता है तो उसे अवैध माना जाएगा।
आपको बता दें कि इससे पहले पांच जजों की संविधान पीठ ने 18 मई को इस पर फैसला सुरक्षित रखा था। इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए मुस्लिम महिलाओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखी गई जबकि पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे धार्मिक मसला बताते बुए इस पर सुनवाई न करने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने भी सुनवाई के दौरान तलाक ए बिद्दत यानी एक साथ तीन तलाक को खत्म करने की पैरवी की थी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 11 से 18 मई तक नियमित सुनवाई चली थी।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से दिए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने माना था कि वह सभी काजियों को अडवाइजरी जारी करेगा कि वे ट्रिपल तलाक पर न केवल महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें।
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