हिमाचल की राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी के हलोग में पत्थरों के मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं और जबतक खून नहीं बह जाता तब तक पत्थर बरसते ही रहते हैं। फिर वह खून काली माता को चढाया जाता है। कई वर्षों से यह परंपरा चल रही है। दिवाली के दूसरे दिन यह पत्थरों का मेला आयोजित किया जाता है।
शुक्रवार को हजारों की संख्या में लोग हलोगधामी के खेल मैदान में एकत्रित हुए। फिर धामी रियासत के राजा जगदीप सिंह पूरे शाही अंदाज में मेले वाले स्थान पर पहुंचे।
इस बीच जमोगी के खूंद प्रकाश को पत्थर लग गया। उससे खून निकलने लगा। करीब आधे घंटे तक चले इस पत्थरबाजी का का सिलसिला यहीं थम गया। मेला कमेटी के आयोजकों के साथ राजवंश के सदस्यों ने मेला स्थल के नजदीक बने काली माता मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की। माता को खून का तिलक लगाया गया। उसके बाद मां काली का आशीर्वाद लिया गया।
इस मेले में कहीं किसी को चोट न लगे, यह नहीं सोचा जाता है, बल्कि मेले में शामिल लोग पत्थर लगने से खून निकले, इसे अपना सौभाग्य समझते हैं। इसलिए लोग मेले में पीछे रहने की बजाय आगे बढ़कर दूसरी तरफ के लोगों पर पत्थर फेंकने के लिए जुटे रहते हैं।
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