सनातन धर्म में सावन के महीने को बहुत ही पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है, कि इस माह में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, इसलिए भक्त अपने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है, सावन के महीने में रुद्राक्ष को धारण करना। सनातन धर्म में सावन के महीने में रुद्राक्ष को धारण करने का एक विशेष महत्व होता है। वहीं रुद्राक्ष को धारण करते समय कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। शास्त्रों की मानें तो रुद्राक्ष बेहद ही पूजने होते हैं। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से बने होते हैं, इसलिए इनमें चमत्कारी और अलौकिक शक्ति होती है और इन्हें धारण करते समय कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है।
रुद्राक्ष को धारण करने के नियम-
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है और जो इंसान इसे धारण करता है। उसे इससे जुड़े कुछ नियमों का पालन करना होता है, जैसे- रुद्राक्ष की माला धारण करने के लिए सावन के महीने में सबसे अच्छा दिन सोमवार या शिवरात्रि का होता है। इसके साथ ही रुद्राक्ष की माला को धारण करते समय इस बात पर जरूर ध्यान दें, कि उस माला में कम से कम 27 मनके होने चाहिए और इस माला को धारण करने से पहले इसे लाल कपड़े में लपेटकर मंदिर में रखकर ओम नमः शिवाय का जाप जरूर करें।
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रुद्राक्ष की माला को धारण करने से पहले इसे गंगाजल से पवित्र जरूर करें और अगर आप किसी संकल्प के साथ रुद्राक्ष को धारण करते हैं, तो पहले हाथों में गंगाजल लेकर अपना संकल्प को मन में दौराहे हैं और फिर माला को गंगाजल से धोकर धारण करें।
सोते समय रुद्राक्ष को यहां रखें-
जो लोग रुद्राक्ष को धारण करते हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रोजाना रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उन्हें स्नान कर लेना चाहिए। सोने से पहले रुद्राक्ष की माला को मंदिर या किसी पवित्र स्थान में उतार कर रख देना चाहिए।
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