त्रिपुरा में बीजेपी सरकार ने रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन की जीवनियों से जुड़ी स्कूली किताबों से हटाने का फैसला किया है। खबर के अनुसार, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने बताया कि राज्य में पिछले 25 साल से वामपंथी सरकार थी। इस सरकार के शासनकाल में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। उनकी सरकार त्रिपुरा में अब एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) आधारित शिक्षा व्यवस्था की शुरूआत करने जा रही है।
सीएम बिप्लब देब ने कहा, ‘मैंने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। राज्य में जल्द ही एनसीईआरटी आधारित शिक्षा व्यवस्था शुरू हो जाएगी। इसकी बदौलत त्रिपुरा के छात्र भी अब राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा ले सकेंगे।’ सीएम ने आगे कहा कि हमारे राज्य में छात्रों के लिए व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के जीवन और इतिहास के बारे में पढ़ने के बजाय और भी बहुत कुछ है। भारतीय इतिहास में छात्रों के पास पढ़ने के लिए महात्मा गांधी, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस समेत कई महान भारतीय हस्तियां हैं। यह सभी शख्सियत भी प्रेरणादायी हैं।
त्रिपुरा के सीएम ने आगे कहा कि राज्य के छात्रों का जानना चाहिए कि प्राचीन भारतीय इतिहास में महान सम्राट अशोक और उनकी कलिंग विजय के बाद किस तरह से उन्होंने बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया। छात्रों के पास वामपंथी इतिहास पढ़ने की जगह बौद्ध धर्म से जुड़ी ढेरों कहानियां हैं। बता दें कि हाल में बिप्लब कुमार देब तब अचानक सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने अगरतला में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि महाभारत काल में भी इंटरनेट का इस्तेमाल होता था। उन्होंने कहा था कि भारत प्राचीन काल से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने महाभारत में संजय की भूमिका बताते हुए कहा कि उन्होंने नेत्रहीन धृतराष्ट्र को दूर बैठे हुए भी युद्ध का हाल बताया था। इतना ही नहीं, उन्होंने उस काल में सैटेलाइट होने का भी दावा किया।
त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने भी सीएम के बयान से सहमति जताई थी। उन्होंने ‘दिव्य दृष्टि’ और ‘पुष्पक विमान’ को तकनीक का रूप बताते हुए कहा कि अगर उस काल में टेक्नोलॉजी नहीं होती तो इनका निर्माण संभव नहीं था।