शैलेश शर्मा
देश के बंटवारे का दर्द झेल चुके गुलज़ार साहब उर्फ संपूर्ण सिंह कालरा का शादीशुदा जीवन भी निपट अकेला रहा फिर भी लेखनी का काम जारी रहा। उनकी बेमिसाल शायरी में नदियां, आकाश, रास्ते, आंधी , “आसमान के सिरे खुल गए” जैसे शब्दों से प्रकृति का वर्णन बखूबी मिलता रहा है। विमल राय की फिल्म “बंदिनी” से शुरुआत करने वाले “मोरा गोरा अंग लैले” से अपनी पहचान बनाने वाले गुलज़ार ने “प्यार को प्यार ही रहने दो ” से अपने को बड़ा गीतकार साबित किया।
गुलज़ार हर दौर में लोगों की जुबां पर रहे चाहे वो पुरानी पीढ़ी से लेकर आज के युवा रहे हो। इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की बात की जाए तो बिना गुलज़ार के बेमानी होगी, वो ना केवल शायर, लेखक, निर्माता और निर्देशक, प्रसिद्ध गीतकार रहे। उनके जन्मदिन पर उनके विशेष पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी की आख़िरी विदाई- लिबरल बनाम संघी बनाम बीच वाले और सोशल मीडिया
शैलेश शर्मादेश के बंटवारे का दर्द झेल चुके गुलज़ार साहब उर्फ संपूर्ण सिंह कालरा का शादीशुदा जीवन भी निपट अकेला रहा फिर भी लेखनी का काम जारी रहा। उनकी बेमिसाल शायरी में नदियां, आकाश, रास्ते, आंधी , “आसमान के सिरे खुल गए” जैसे शब्दों से प्रकृति का वर्णन बखूबी मिलता रहा है। विमल राय की फिल्म “बंदिनी” से शुरुआत करने वाले “मोरा गोरा अंग लैले” से अपनी पहचान बनाने वाले गुलज़ार ने “प्यार को प्यार ही रहने दो ” से अपने को बड़ा गीतकार साबित किया। गुलज़ार हर दौर में लोगों की जुबां पर रहे चाहे वो पुरानी पीढ़ी से लेकर आज के युवा रहे हो। इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की बात की जाए तो बिना गुलज़ार के बेमानी होगी, वो ना केवल शायर, लेखक, निर्माता और निर्देशक, प्रसिद्ध गीतकार रहे। उनके जन्मदिन पर उनके विशेष पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।गुलजार उर्फ संपूर्ण सिंह कालरा का जन्म 18 अगस्त 1934 को बंटवारे से पहले पंजाब के झेलम जिले में दीना गांव में हुआ था, जो कि आज पाकिस्तान में है। गुलजार प्रारंभ से ही लेखक बनना चाहते थे,वो परिवार की सहमति के बिना मुंबई आ गए और यहां उन्होंने गैराज में मैकेनिक बने, जब खाली टाइम होता वो कविताएं लिखा करते थे। काफी जद्दोजहद के बाद गुलजार साहब निर्माता निर्देशक बिमल रॉय, ऋषिकेश मुखर्जी और संगीतकार हेमंत कुमार के साथ सहायक के तौर पर काम करना प्रारंभ किया,उनका गाना “मोरा गोरा रंग ” बहुत प्रचलित रहा। उनकी निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म साल 1971 में ‘मेरे अपने’ बनाई।उनकी फिल्मों में उनकी पहली पसंद संजीव कुमार रहे, जिनके साथ गुलजार ने कोशिश(1772), आंधी (1974), मौसम (1975), अंगूर(1981) और नमकीन (1982) जैसी फिल्में बनाई।पुरस्कारों की बात की जाए तो साल 2004 में “जय हो” ऑस्कर अवॉर्ड से भी नवाजा गया।सार्वजनिक जीवन और व्यापार में बेहद सफल रहे पर गुलजार की शादीशुदा निजी जीवन घनघोर संकट में रहा। उन्होंने एक्ट्रेस राखी से शादी की जो की उनसे लगभग 14 , 15 छोटी थी। दोनों की बेटी मेघना गुलजार है जो कि एक फिल्म डायरेक्टर , प्रोड्यूसर हैं। मेघना गुलज़ार के पैदा होने के एक साल बाद 1974 में दोनों अलग हो गए हालांकि गुलजार और राखी के बीच डिवोर्स नहीं हुआ लेकिन दोनों ने लंबे समय से अलग जीवन व्यतीत किया।
गुलजार उर्फ संपूर्ण सिंह कालरा का जन्म 18 अगस्त 1934 को बंटवारे से पहले पंजाब के झेलम जिले में दीना गांव में हुआ था, जो कि आज पाकिस्तान में है। गुलजार प्रारंभ से ही लेखक बनना चाहते थे,वो परिवार की सहमति के बिना मुंबई आ गए और यहां उन्होंने गैराज में मैकेनिक बने, जब खाली टाइम होता वो कविताएं लिखा करते थे।
काफी जद्दोजहद के बाद गुलजार साहब निर्माता निर्देशक बिमल रॉय, ऋषिकेश मुखर्जी और संगीतकार हेमंत कुमार के साथ सहायक के तौर पर काम करना प्रारंभ किया,उनका गाना “मोरा गोरा रंग ” बहुत प्रचलित रहा। उनकी निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म साल 1971 में ‘मेरे अपने’ बनाई।उनकी फिल्मों में उनकी पहली पसंद संजीव कुमार रहे, जिनके साथ गुलजार ने कोशिश(1772), आंधी (1974), मौसम (1975), अंगूर(1981) और नमकीन (1982) जैसी फिल्में बनाई।
स्मृतियों में बने रहेंगे ‘कामरेड’ अटल!
पुरस्कारों की बात की जाए तो साल 2004 में “जय हो” ऑस्कर अवॉर्ड से भी नवाजा गया।
सार्वजनिक जीवन और व्यापार में बेहद सफल रहे पर गुलजार की शादीशुदा निजी जीवन घनघोर संकट में रहा। उन्होंने एक्ट्रेस राखी से शादी की जो की उनसे लगभग 14 , 15 छोटी थी। दोनों की बेटी मेघना गुलजार है जो कि एक फिल्म डायरेक्टर , प्रोड्यूसर हैं। मेघना गुलज़ार के पैदा होने के एक साल बाद 1974 में दोनों अलग हो गए हालांकि गुलजार और राखी के बीच डिवोर्स नहीं हुआ लेकिन दोनों ने लंबे समय से अलग जीवन व्यतीत किया।
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”