महाराष्ट्र सरकार जल्द ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण में प्लास्टिक और पीईटी बोतलों से बने पत्थर के ब्लॉक का उपयोग करने का प्लान बना रही है। प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन, जिन्हें भारत के प्लास्टिक मैन के नाम से जाना जाता है उनसे प्लास्टोन बनाने की तकनीक लेने का फैसला किया है। पद्मश्री से सम्मानित 73 वर्षीय वासुदेवन पिछले दो दिनों से सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक के संभावित उपयोग और सीमेंट उद्योग के लिए इसे ईंधन में बदलने की संभावनाओ को लेकर अधिकारियों के साथ परामर्श कर रहे हैं।
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महाराष्ट्र सरकार जल्द ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण में प्लास्टिक और पीईटी बोतलों से बने पत्थर के ब्लॉक का उपयोग करने का प्लान बना रही है। प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन, जिन्हें भारत के प्लास्टिक मैन के नाम से जाना जाता है उनसे प्लास्टोन बनाने की तकनीक लेने का फैसला किया है। पद्मश्री से सम्मानित 73 वर्षीय वासुदेवन पिछले दो दिनों से सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक के संभावित उपयोग और सीमेंट उद्योग के लिए इसे ईंधन में बदलने की संभावनाओ को लेकर अधिकारियों के साथ परामर्श कर रहे हैं।इस ब्लॉक का आविष्कार उन्होने 2012 में किया था। एक प्लास्टोन ब्लॉक बनाने में लगभग 300 प्लास्टिक बैग और छह पीईटी बोतलों का प्रयोग होता है। यह तकनीक 2014 में शुरु हुआ स्वच्छ भारत मिशन के तहत 10 लाख शौचालयों के निर्माण के लक्षय को पूरा करने में मदद करेगी। अनिल डिगगीकर, मुख्य सचिव, पर्यावरण ने बताया कि “हमने प्रोफेसर वासुदेवन से प्लास्टिक से बने प्रौद्योगिकी और यहां तक कि टाइल्स खरीदने का फैसला किया है। हम शौचालयों के निर्माण में उनका उपयोग करने की योजना बना रहे हैं क्योंकि वे गैर छिद्रपूर्ण हैं और पानी के प्रवेश को रोकते हैं।स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत, सभी घरों में शौचालय के निर्माण और उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस योजना का लक्ष्य हर घर में शौचालय उपलब्ध कराना है और बदले में 2 अक्टूबर 2019 तक देश को खुले शौचालय मुक्त कर देगा। अनुमान के अनुसार, महाराष्ट्र के 27,902 ग्राम पंचायतों में 1.15 करोड़ घर हैं, जिनमें से 63.67 लाख या 55% घरों में शौचालय नही हैं। प्लास्टोन के उपयोग के साथ इसे बनाने की लागत काफी कम हो सकती है।2002 से, श्री वासुदेवन 2 मिमी का कटा हुआ प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर रहे हैं। इस प्लास्टिक की परत पत्थरों पर फैलाई जाती है और बाद में पिघले हुए टार में जोड़ा दिया जाता है। इस तरह से बनाई गई सड़क, स्थानीय निकायों और सरकारों द्वारा बनाए गए सड़कों की तुलना में अधिक समय तक चलती है। राज्य अपनी सड़क विकास योजना 2001-2021 में प्रोफेसर वासुदेवन के अभिनव तरीकों को प्रयोग करने की सोच रहा है। इस योजना के तहत, सरकार 2021 तक 3.37 लाख किमी सड़क विकसित करने का लक्ष्य रखती है।मार्च में राज्य ने प्लास्टिक उत्पादों की बिक्री, उपयोग और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। तब से प्लास्टिक उद्योग प्रतिबंध को हटाने के लिए रैली कर रहा है। वहीं पर्यावरणविद इसे प्लास्टिक कचरे के खतरे के खिलाफ एक बहुत ही आवश्यक कार्रवाई के रूप में स्वागत कर रहे हैं।
इस ब्लॉक का आविष्कार उन्होने 2012 में किया था। एक प्लास्टोन ब्लॉक बनाने में लगभग 300 प्लास्टिक बैग और छह पीईटी बोतलों का प्रयोग होता है। यह तकनीक 2014 में शुरु हुआ स्वच्छ भारत मिशन के तहत 10 लाख शौचालयों के निर्माण के लक्षय को पूरा करने में मदद करेगी। अनिल डिगगीकर, मुख्य सचिव, पर्यावरण ने बताया कि “हमने प्रोफेसर वासुदेवन से प्लास्टिक से बने प्रौद्योगिकी और यहां तक कि टाइल्स खरीदने का फैसला किया है। हम शौचालयों के निर्माण में उनका उपयोग करने की योजना बना रहे हैं क्योंकि वे गैर छिद्रपूर्ण हैं और पानी के प्रवेश को रोकते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत, सभी घरों में शौचालय के निर्माण और उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस योजना का लक्ष्य हर घर में शौचालय उपलब्ध कराना है और बदले में 2 अक्टूबर 2019 तक देश को खुले शौचालय मुक्त कर देगा। अनुमान के अनुसार, महाराष्ट्र के 27,902 ग्राम पंचायतों में 1.15 करोड़ घर हैं, जिनमें से 63.67 लाख या 55% घरों में शौचालय नही हैं। प्लास्टोन के उपयोग के साथ इसे बनाने की लागत काफी कम हो सकती है।
2002 से, श्री वासुदेवन 2 मिमी का कटा हुआ प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर रहे हैं। इस प्लास्टिक की परत पत्थरों पर फैलाई जाती है और बाद में पिघले हुए टार में जोड़ा दिया जाता है। इस तरह से बनाई गई सड़क, स्थानीय निकायों और सरकारों द्वारा बनाए गए सड़कों की तुलना में अधिक समय तक चलती है। राज्य अपनी सड़क विकास योजना 2001-2021 में प्रोफेसर वासुदेवन के अभिनव तरीकों को प्रयोग करने की सोच रहा है। इस योजना के तहत, सरकार 2021 तक 3.37 लाख किमी सड़क विकसित करने का लक्ष्य रखती है।
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