सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक और ट्विटर चुनाव के दौरान फर्जी खबरों को रोकने में निर्वाचन आयोग की मदद करेंगी। इसके अलावा गूगल, फेसबुक और ट्विटर ने चुनाव आयोग से यह भी कहा है कि उनका प्लेटफॉर्म ऐसी किसी खबर को प्रसारित नहीं करेगा जिससे प्रचार अभियान के दौरान चुनाव की विश्वसनीयता पर असर पड़े। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने दी। रावत ने यह भी बताया कि कर्नाटक चुनाव के दौरान इसे परखा जा चुका है। उन्होंने कहा कि तब छोटी परियोजना के तौर पर इसका प्रयोग किया गया था, अब लोकसभा चुनावों से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। इन चारों राज्यों में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक और ट्विटर चुनाव के दौरान फर्जी खबरों को रोकने में निर्वाचन आयोग की मदद करेंगी। इसके अलावा गूगल, फेसबुक और ट्विटर ने चुनाव आयोग से यह भी कहा है कि उनका प्लेटफॉर्म ऐसी किसी खबर को प्रसारित नहीं करेगा जिससे प्रचार अभियान के दौरान चुनाव की विश्वसनीयता पर असर पड़े। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने दी। रावत ने यह भी बताया कि कर्नाटक चुनाव के दौरान इसे परखा जा चुका है। उन्होंने कहा कि तब छोटी परियोजना के तौर पर इसका प्रयोग किया गया था, अब लोकसभा चुनावों से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। इन चारों राज्यों में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं।मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा- सोशल मीडिया कंपनियों ने ये आश्वासन भी दिया कि वे राजनीतिक विज्ञापन भी दिखाएंगे। उन्होंने बताया कि गूगल एक ऐसी व्यवस्था तैयार करेगी जिससे पार्टियों का चुनावी खर्च भी बतायेंगे। अब राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार में किया गया खर्च की जानकारी चुनाव आयोग को भी होगी। रावत ने कहा कि वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त उमेश सिन्हा द्वारा बनाई गई एक समिति ने गूगल, फेसबुक और ट्विटर के क्षेत्रीय और स्थानीय प्रमुखों से मुलाकात की और जाना कि फर्जी खबरों के प्रतिकूल प्रभावों को रोकने औऱ भारतीय चुनावों को इसके प्रभाव से रोकने के लिए क्या कर सकते हैं।सभी ने फैसला लिया है कि चुनाव प्रचार के दौरान और मतदान समाप्त होनेके 48 घंटे पहले तक सोशल मीडिया ऐसी कोई खबर नहीं छपने देगी जो चुनावो में सभी को समान अवसर दिए जाने पर विपरीत प्रभाव डालती हो। उन्होंने वादा किया है कि चुनावों से जुड़ी फेक न्यूज़ पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा- सोशल मीडिया कंपनियों ने ये आश्वासन भी दिया कि वे राजनीतिक विज्ञापन भी दिखाएंगे। उन्होंने बताया कि गूगल एक ऐसी व्यवस्था तैयार करेगी जिससे पार्टियों का चुनावी खर्च भी बतायेंगे। अब राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार में किया गया खर्च की जानकारी चुनाव आयोग को भी होगी। रावत ने कहा कि वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त उमेश सिन्हा द्वारा बनाई गई एक समिति ने गूगल, फेसबुक और ट्विटर के क्षेत्रीय और स्थानीय प्रमुखों से मुलाकात की और जाना कि फर्जी खबरों के प्रतिकूल प्रभावों को रोकने औऱ भारतीय चुनावों को इसके प्रभाव से रोकने के लिए क्या कर सकते हैं।
सभी ने फैसला लिया है कि चुनाव प्रचार के दौरान और मतदान समाप्त होनेके 48 घंटे पहले तक सोशल मीडिया ऐसी कोई खबर नहीं छपने देगी जो चुनावो में सभी को समान अवसर दिए जाने पर विपरीत प्रभाव डालती हो। उन्होंने वादा किया है कि चुनावों से जुड़ी फेक न्यूज़ पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी।
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