रविवार को लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि हर पार्टी चाहती है कि वह उनके पक्ष में रहे। उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि वह उस पार्टी की ओर झुक सकते हैं जो बेहतर सौदेबाज़ी करेगा। साहिबगंज विधानसभा क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए चिराग ने संकेत दिए हैं कि वह अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और बेहतर सौदेबाजी के पक्ष में जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं मीडिया कर्मियों की भीड़ देख सकता हूं, जो कि यह जानने के लिए उत्सुक है कि चिराग पासवान किसके साथ गठबंधन करने वाले हैं।
चिराग पासवान सिर्फ बिहार के लोगों से जुड़े-
मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि चिराग पासवान सिर्फ बिहार के लोगों से जुड़े हैं। युवा नेता ने कहा कि जो अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी निष्ठा से शपथ लेते हैं, उनकी तुलना भगवान राम से और खुद की तुलना भगवान हनुमान से करते हैं। उन्होंने कहा कि हर पार्टी, हर गठबंधन चाहता है कि चिराग पासवान उनके पक्ष में आए। ऐसा इसलिए था क्योंकि लोग उनके बिहार पहले बिहार पहले दृष्टिकोण से प्रभावित थे, जो राज्य को पुराने पिछड़ेपन से बाहर निकलना चाहता है।
शेर का बेटा-
अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि खुद को शेर का बेटा कहते हुए अपने दिवगंत पिता रामविलास पासवान के सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने का एक प्रयास किया। उन्होंने एनडीए में कट्टरपंथियों जदयू के प्रमुख बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिंवगत नेता की पार्टी को विभाजित करने वाले केंद्रीय मंत्री चाचा पशुपति कुमार पारस का नाम लेने से परहेज किया। उन्होंने उन सारी चीजों के बारे में विस्तार से बताया, जिनका उन्हें सामना करना पड़ा। जिनका उद्देश्य उनके मेरे, परिवार और मेरी पार्टी को तोड़ना था।
पिता की विरासत पर दावा-
वैशाली लोकसभा सीट के तहत साहिबगंज में रैली जिसे लोजपा ने पिछले दो चुनाव में जीता था को पहले लोक जनशक्ति पार्टी की घोषणा के बाद पासवान द्वारा अपने पिता की विरासत पर दावा करने के लिए एक नए प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। एक अलग समूह जिसका वह अब नेतृत्व कर रहे हैं, हाजीपुर से चुनाव लड़ेगा। जिसका दिंवगत नेता ने कई बार प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह सीट से फिर से चुनाव लड़ेंगे। आरएलजेपी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल का कहना है कि हाजीपुर या हमारी पार्टी की अन्य चार सीटों में से किसी को भी छोड़ने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
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दावे का सम्मान-
हमें यकीन है कि बीजेपी हमारे दावे का सम्मान करेगी। क्योंकि हम एनडीए के स्वाभाविक सहयोगी हैं। हालांकि किसी भी पार्टी के रिकॉर्ड में पासवान को क्या प्रस्ताव दिया गया, इसके बारे में जानकारी नहीं दी है। लेकिन सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कांग्रेस राजद और तीन वामपंथी दल ने कहा कि उन्हें 6 से ज्यादा सीटों के साथ समायोजित किया जा सकता है। 2019 में एलजेपी ने 6 सीटों पर पर चुनाव लड़ा था और सभी पर जीते हासिल की थी। हालांकि दो अलग हुए समूह को इस बार बहुत कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है।
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