दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार के वैक्सीनेशन कैंपेन पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस वैक्सीनेशन कैंपेन में 16 जनवरी से दिल्ली के सभी स्कूलों में खसरे को खत्म करने के लिए मीजल्स रूबैल्ला वैक्सीनेशन दिया जाना था। आपको बता दे कि कोर्ट ने यह रोक इसलिए लगाई है क्योंकि दिल्ली सरकार ने इस इंजेक्शन को लगवाना बच्चों के लिए अनिवार्य कर दिया था।
इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि बिना अभिभावकों की मर्जी के बच्चों को स्कूल में यह वैक्सीन जबरन नहीं दी जा सकती है।
Delhi HC today put an interim stay on the vaccination campaign of Delhi government till further order. Next hearing on January 21. Delhi govt's circular dated 19 Dec mandated measles Rubella (MR) vaccination for students below 15 yrs without consent of students & their parents. pic.twitter.com/3DWBlpkn9B
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार के वैक्सीनेशन कैंपेन पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस वैक्सीनेशन कैंपेन में 16 जनवरी से दिल्ली के सभी स्कूलों में खसरे को खत्म करने के लिए मीजल्स रूबैल्ला वैक्सीनेशन दिया जाना था। आपको बता दे कि कोर्ट ने यह रोक इसलिए लगाई है क्योंकि दिल्ली सरकार ने इस इंजेक्शन को लगवाना बच्चों के लिए अनिवार्य कर दिया था।इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि बिना अभिभावकों की मर्जी के बच्चों को स्कूल में यह वैक्सीन जबरन नहीं दी जा सकती है।आपको बता दे कि दिल्ली सरकार के इस वैक्सीनेशन कैंपेन को 16 जनवरी से शुरू होकर चार हफ्तों के लिए चलना था। इसमें 14 साल तक के बच्चों स्कूलों में खसरे के इंजेक्शन लगवाना अनिवार्य किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार के इस प्रोग्राम पर रोक लगाने के बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। सरकार को कोर्ट के नोटिस का जवाब 21 जनवरी तक देना है। इस याचिका में शिक्षा निदेशालय के 19 दिसंबर 2018 की नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की भी गई थी।खबरों की माने तो, कुछ अभिभावकों ने इस कैंपेन के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमे कहा गया था कि जबरन वैक्सीनेशन प्रोग्राम व्यक्तिगत आजादी का हनन है। अपनी जिंदगी के फैसले करने का अधिकार हर व्यक्ति के पास समान है और सरकार इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती।खबरों के अनुसार, इस मामले में हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को स्कूलों के प्रिंसिपल्स के साथ मिलकर विज्ञापन देने को कहा है जिसमें रूबेला मीजल्स वैक्सीन के फायदे बताने को कहा गया है। जिससे अभिभावक खुद ही इस वैक्सीन को लगवाने के लिए तैयार हों। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि जिन अभिभावकों की स्वीकृति नहीं होगी, स्कूल में उन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि सरकार स्कूलों के प्रिंसिपल से और प्रिंसिपल्स क्लास टीचर से, और क्लास टीचर बच्चों के अभिभावकों से संपर्क कर इस वैक्सीन को लगाने की इजाजत लेंगे। हालांकि, सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि देश के 25 अलग-अलग राज्यों में ये वैक्सीन सफलतापूर्वक लगाई गई है।
— ANI (@ANI) January 15, 2019
आपको बता दे कि दिल्ली सरकार के इस वैक्सीनेशन कैंपेन को 16 जनवरी से शुरू होकर चार हफ्तों के लिए चलना था। इसमें 14 साल तक के बच्चों स्कूलों में खसरे के इंजेक्शन लगवाना अनिवार्य किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार के इस प्रोग्राम पर रोक लगाने के बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। सरकार को कोर्ट के नोटिस का जवाब 21 जनवरी तक देना है। इस याचिका में शिक्षा निदेशालय के 19 दिसंबर 2018 की नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की भी गई थी।
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खबरों की माने तो, कुछ अभिभावकों ने इस कैंपेन के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमे कहा गया था कि जबरन वैक्सीनेशन प्रोग्राम व्यक्तिगत आजादी का हनन है। अपनी जिंदगी के फैसले करने का अधिकार हर व्यक्ति के पास समान है और सरकार इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती।
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