अजय चौधरी

ये तस्वीर देखिए इसमें कंधे पर बस्ता टांग तीन छोटे छोटे बच्चे स्कूल के लिए निकले हैं। हमारे यहां वोटिंग का दिन ही ऐसा दिन है, जब लोग समानता महसूस करते हैं। सब लोग एक ही लाइन में लग कर अपने मताधिकारों का प्रयोग कर रहे होते हैं। नहीं तो असमानता का स्तर बचपन से ही शुरू हो जाता है। ये तीन बच्चे दो कदमों से स्कूल की और चल निकले हैं।
इनके सामने तीन पहिये की सवारी में आगे पीछे लटके बच्चे स्कूल जा रहे हैं। उसके आगे वैन में स्कूल जाने वाले बच्चे हैं। फिर बस में जाने वाले और पर्सनल कार में स्कूल जाने वाले बच्चे आते हैं।
स्कूलों में समान ड्रेस कोड़ इसीलिए होता है ताकि वहां ज्ञान अर्जित करने वाले सभी छात्र एक दूसरे को समान नजर से देखें और उनमें ऊंच-नीच की कोई भावना न आए। लेकिन जब समाज में ही इतनी असमानता है तो बच्चे इससे कैसे दूर रह सकते हैं। क्या कोई दिन ऐसा आ पाएगा जब कान्वेंट स्कूल और सामान्य स्कूल के बीच की खाई पट पाएगी?
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