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Dastak India > Home > देश > जाने क्या है आर्टिकल 35-A, जिसे हटाने का वादा बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में किया
देशहोम

जाने क्या है आर्टिकल 35-A, जिसे हटाने का वादा बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में किया

Jyoti Chaudhary
Last updated: April 8, 2019 3:35 pm
Jyoti Chaudhary
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Lok Sabha election 2019, PM Narendra Modi, Jammu-Kashmir, Article 35-A, BJP Manifesto, आर्टिकल 35A
Photo : Twitter
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आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 35A हटाने का वादा किया है। कई दिनों से आर्टिकल 35A को हटाने को लेकर बहस भी हो रही है। आखिर ये आर्टिकल 35A है क्या। आइये हम आपको बताते है…

आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार देता है। जम्मू-कश्मीर में इस आर्टिकल में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध हो रहा है। हालिया चुनाव में भी जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दलों ने 35ए को एक बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है। वो इसे हटाने के किसी भी कदम के खिलाफ हैं।

क्या है आर्टिकल 35-A

35-A भारतीय संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है। यह राज्य को यह तय करने की शक्ति देता है कि जम्मू  का स्थाई नागरिक कौन है? वैसे 1956 में बने जम्मू कश्मीर के संविधान में स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया था।

यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर में ऐसे लोगों को कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने या उसका मालिक बनने से रोकता है जो वहां के स्थायी नागरिक नहीं हैं।

आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर के अस्थाई नागरिकों को वहां सरकारी नौकरियों और सरकारी सहायता से भी वंचित करता है।

अनुच्छेद 35A के मुताबिक, अगर जम्मू कश्मीर की कोई लड़की राज्य के बाहर के किसी लड़के से शादी कर लेती है तो उसके जम्मू की प्रॉपर्टी से जुड़े सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ जम्मू-कश्मीर की प्रॉपर्टी से जुड़े उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।

किसे माना जाता है जम्मू-कश्मीर का स्थाई नागरिक

वैसे तो जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, वहां का स्थायी नागरिक वह है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो, और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो।

हरि सिंह के जारी किए नोटिस के अनुसार जम्मू-कश्मीर का स्थाई नागरिक वह है जो जम्मू-कश्मीर में ही 1911 या उससे पहले पैदा हुआ और रहा हो या जिन्होंने कानूनी तौर पर राज्य में प्रॉपर्टी खरीद रखी है। जम्मू-कश्मीर का गैर स्थायी नागरिक लोकसभा चुनावों में तो वोट दे सकता है, लेकिन वो राज्य के स्थानीय निकाय यानी पंचायत चुनावों में वोट नहीं दे सकता।

कैसे अस्तित्व में आया आर्टिकल 35A

महाराजा हरि सिंह जो कि आजादी से पहले जम्मू-कश्मीर के राजा हुआ करते थे, उन्होंने दो नोटिस जारी करके यह बताया था कि उनके राज्य की प्रजा किसे-किसे माना जायेगा? ये दो नोटिस उन्होंने 1927 और 1933 में जारी किये थे। इन दोनों में बताया गया था कि कौन लोग जम्मू-कश्मीर के नागरिक होंगे?

फिर जब भारत की आजादी के बाद अक्टूबर, 1947 में महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये। तो इसके साथ ही भारतीय संविधान में आर्टिकल 370 को जुड़ गया। यह आर्टिकल जम्मू और कश्मीर को विशेषाधिकार देता था। इसके बाद केंद्र सरकार की शक्तियां जम्मू-कश्मीर में सीमित हो गई। अब केंद्र, जम्मू-कश्मीर में बस रक्षा, विदेश संबंध और संचार के मामलों में ही दखल रखता था।

इसके बाद 14 मई, 1954 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया था।

राष्ट्रपति का यह आदेश 1952 में जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच हुए ‘दिल्ली समझौते’ के बाद आया था। दिल्ली समझौते के जरिए जम्मू-कश्मीर राज्य के नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी। 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू होने के साथ ही इस व्यवस्था को लागू भी कर दिया गया।

Video: अंतरिक्ष में सर्जिकल स्ट्राइक, भारत ने इस तरह मार गिराया था सैटेलाइट

किसने इसको हटाने की मांग कर सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2014 में एक एनजीओ ने अर्जी दाखिल कर इसको समाप्त करने की मांग की। इस एनजीओ, जिसका नाम ‘वी द सिटिजन्स’ है, ने आर्टिकल 35A की वैधता को चुनौती दी है। इसका आरोप है कि दूसरी चीजों के साथ ही यह आर्टिकल भारत की एकता की भावना के खिलाफ है और यह भारतीय नागरिकों की एक श्रेणी के अंदर ही एक श्रेणी बना देता है।

साथ ही, दूसरे राज्यों से आने वाले भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में प्रॉपर्टी खरीदने और रोजगार पाने से रोकता है। यह मौलिक अधिकारों का हनन करता है।

वही, खबरों की माने तो दूसरी याचिकाकर्ता चारूवालिया खन्ना ने इस आधार पर इस आर्टिकल को चुनौती दी है कि यह महिलाओं के राइट टू प्रॉपर्टी को अनदेखा करता है। क्योंकि अगर वह एक ऐसे इंसान से शादी कर लेती है जो कि कश्मीरी नागरिक नहीं है।

साथ ही, संसद के पास ही संविधान में बदलाव की क्षमता होती है। जबकि राष्ट्रपति के आदेश से आर्टिकल 35A को संविधान में शामिल कर लिया गया था और इसमें संसद की अनदेखी की गई है। अब इसी को अहम मुद्दा बनाकर राजनीति दावपेच खेले जा रहे है।

जानिए, 2014 के मेनिफेस्टो में किये गए वादों पर कितना खरा उतरी बीजेपी

TAGGED:Article 35-Abjp manifestoJAMMU KASHMIRLok Sabha Election 2019PM Narendra Modiआर्टिकल 35A
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