बीते लोकसभा चुनाव 2014 के लिए बीजेपी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया तो उसे कारोबार और उद्योग जगत के लिए काफी अनुकूल माना जा रहा था। वही, कारोबार जगत को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें भी थीं। इस मेनिफेस्टो में बीजेपी ने भारत दुनिया की एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने और रोजगार बढ़ाने जैसे तमाम वादे किए थे। आज पांच साल बाद जब बीजेपी 2019 के लिए घोषणापत्र जारी कर रही है तो इस बात की समीक्षा करते हैं कि उसने इनमें से कौन से आर्थिक वादे पूरे किए।
महंगाई पर अंकुश
मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बन गई थी। यही कारण है कि भाजपा के घोषणा पत्र में सबसे पहले महंगाई को ही मुद्दा बनाया गया था। इसके बाद क्रम से रोजगार, भ्रष्टाचार और काले धन को मुद्दा बनाया गया था। महंगाई रोकने के लिए अनाजों के अवैध भंडारण को रोकने और कालाबाजारी रोकने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने की बात कही गई थी। भाजपा सरकार महंगाई पर लगाम लगाने में कामयाब रही, यह माना जा सकता है। पूरे पांच साल में खाद्यान्न की कीमतें काबू में रहीं। हालांकि, कीमतों को काबू में रखने के लिए एक विशेष फंड की बात पार्टी ने पूरी नहीं की। लेकिन ई-मंडियों से वस्तुओं की बिक्री की शुरुआत सरकार की बड़ी उपलब्धी रही जो उसके वायदे पूरे देश में एक ‘राष्ट्रीय कृषि बाज़ार’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है।
रोजगार के बड़े-बड़े वादें
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार देने का वादा किया था। बीजेपी ने कहा था कि श्रम आधारित मैन्युफैक्चरिंग और टूरिज्म को बढ़ावा देकर रोजगार बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजों को रोजगार केंद्रों में बदलने की बात कही गई थी। स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा लोन, स्किल इंडिया जैसी योजनाओें से युवाओं में रोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। लेकिन रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार को सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार होना पड़ा। विपक्ष रोजगार के मोर्चे पर सरकार पर सबसे ज्यादा हमलावर रहा। मोदी सरकार पर आंकड़े छिपाने के आरोप लगे। देश में जॉबलेस ग्रोथ होने यानी अर्थव्यवस्था में तरक्की के बावजूद रोजगार में खास बढ़त न होने के आरोप लगे।
भ्रष्टाचार पर वार
बीजेपी ने वादा किया था कि देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और काले धन को वापस लाया जाएगा। बीजेपी ने ऐसा तंत्र बनाने का वादा किया था, जिससे भ्रष्टाचार करने की गुंजाइश ही न रहे। बीजेपी ने कहा था कि वह विदेशी बैंको में जमा काला धन वापस लाने के लिए वह प्रतिबद्ध है और इसे प्रतिबद्धता के आधार पर किया जाएगा। काला धन वापस लाने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का वादा किया गया था। ऑपरेशन क्लीन मनी, नोटबंदी, बेनामी कानून में बदलाव आदि से देश में काले धन पर अंकुश के लिए सरकार के तमाम प्रयास सफल रहे हैं। सरकार बनते ही एक टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया गया था, लेकिन विदेश से काला धन लाने में अभी कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई है।
डिजिटल इंडिया
भारत सरकार में वित्त मंत्री और भाजपा की 2019 कि घोषणापत्र समिति के मुखिया अरुण जेटली का कहना है कि सरकार ने तकनीक को बढ़ावा देकर कई अहम जगहों पर से भ्रष्टाचार ख़त्म करने में सफलता पाई है। स्वयं प्रधानमंत्री ने डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देकर कई क्षेत्रों में इसे आगे रखने की कोशिश की है। डिजिटल माध्यमों से भाजपा ने सिस्टम में सुधार का वायदा किया था जो कई क्षेत्रों में सफल होता दिख रहा है। गाँवों को ई ग्राम से विश्व ग्राम बनाने की दिशा में भी कुछ काम हुआ है और गाँवों तक इंटरनेट की पहुंच में बढ़ोतरी हुई है।
इस बात में कोई शक नहीं है कि जगह-जगह पर डिजिटल माध्यमों का प्रयोग बढ़ा है। लेकिन इसके बाद भी सच्चाई यह है कि कैश लेनदेन में तेज बढ़ोतरी हुई है जिससे उसके नोटबंदी के फायदे सवालों के घेरे में खड़े हो गये हैं।
कर व्यवस्था और जीएसटी
बीजेपी ने साल 2014 के अपने घोषणापत्र में कहा था कि यूपीए के टैक्स आतंक से व्यापारी वर्ग में हताशा आई है और निवेश के वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बीजेपी सभी राज्य सरकारों को जीएसटी के लिए तैयार करेगी और जीएसटी को प्रभावी तरीके से लागू करेगी। बीजेपी ने इस वादे को पूरा भी किया है। देश में जीएसटी को प्रभावी तरीके से लागू किया गया है और इससे पूरे देश में एक टैक्स प्रणाली लागू हो गई है। हालांकि, इसकी दरों में बदलाव और तर्कसंगतता को लेकर विपक्ष सरकार की आलोचना भी करता रहा है। यह भी आरोप लगाया जाता है कि सरकार ने बिना खास तैयारी के अचानक जीएसटी लागू कर दिया जिससे व्यापारी वर्ग को काफी परेशानी हुई।
Video: इन टीवी शोज के जरिये पीएम मोदी करवा रहे चुनावी प्रचार !
बीते लोकसभा चुनाव 2014 के लिए बीजेपी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया तो उसे कारोबार और उद्योग जगत के लिए काफी अनुकूल माना जा रहा था। वही, कारोबार जगत को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें भी थीं। इस मेनिफेस्टो में बीजेपी ने भारत दुनिया की एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने और रोजगार बढ़ाने जैसे तमाम वादे किए थे। आज पांच साल बाद जब बीजेपी 2019 के लिए घोषणापत्र जारी कर रही है तो इस बात की समीक्षा करते हैं कि उसने इनमें से कौन से आर्थिक वादे पूरे किए।महंगाई पर अंकुशमनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बन गई थी। यही कारण है कि भाजपा के घोषणा पत्र में सबसे पहले महंगाई को ही मुद्दा बनाया गया था। इसके बाद क्रम से रोजगार, भ्रष्टाचार और काले धन को मुद्दा बनाया गया था। महंगाई रोकने के लिए अनाजों के अवैध भंडारण को रोकने और कालाबाजारी रोकने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने की बात कही गई थी। भाजपा सरकार महंगाई पर लगाम लगाने में कामयाब रही, यह माना जा सकता है। पूरे पांच साल में खाद्यान्न की कीमतें काबू में रहीं। हालांकि, कीमतों को काबू में रखने के लिए एक विशेष फंड की बात पार्टी ने पूरी नहीं की। लेकिन ई-मंडियों से वस्तुओं की बिक्री की शुरुआत सरकार की बड़ी उपलब्धी रही जो उसके वायदे पूरे देश में एक ‘राष्ट्रीय कृषि बाज़ार’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है।रोजगार के बड़े-बड़े वादेंबीजेपी ने अपने घोषणापत्र में युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार देने का वादा किया था। बीजेपी ने कहा था कि श्रम आधारित मैन्युफैक्चरिंग और टूरिज्म को बढ़ावा देकर रोजगार बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजों को रोजगार केंद्रों में बदलने की बात कही गई थी। स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा लोन, स्किल इंडिया जैसी योजनाओें से युवाओं में रोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। लेकिन रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार को सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार होना पड़ा। विपक्ष रोजगार के मोर्चे पर सरकार पर सबसे ज्यादा हमलावर रहा। मोदी सरकार पर आंकड़े छिपाने के आरोप लगे। देश में जॉबलेस ग्रोथ होने यानी अर्थव्यवस्था में तरक्की के बावजूद रोजगार में खास बढ़त न होने के आरोप लगे।भ्रष्टाचार पर वारबीजेपी ने वादा किया था कि देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और काले धन को वापस लाया जाएगा। बीजेपी ने ऐसा तंत्र बनाने का वादा किया था, जिससे भ्रष्टाचार करने की गुंजाइश ही न रहे। बीजेपी ने कहा था कि वह विदेशी बैंको में जमा काला धन वापस लाने के लिए वह प्रतिबद्ध है और इसे प्रतिबद्धता के आधार पर किया जाएगा। काला धन वापस लाने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का वादा किया गया था। ऑपरेशन क्लीन मनी, नोटबंदी, बेनामी कानून में बदलाव आदि से देश में काले धन पर अंकुश के लिए सरकार के तमाम प्रयास सफल रहे हैं। सरकार बनते ही एक टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया गया था, लेकिन विदेश से काला धन लाने में अभी कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई है।डिजिटल इंडिया भारत सरकार में वित्त मंत्री और भाजपा की 2019 कि घोषणापत्र समिति के मुखिया अरुण जेटली का कहना है कि सरकार ने तकनीक को बढ़ावा देकर कई अहम जगहों पर से भ्रष्टाचार ख़त्म करने में सफलता पाई है। स्वयं प्रधानमंत्री ने डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देकर कई क्षेत्रों में इसे आगे रखने की कोशिश की है। डिजिटल माध्यमों से भाजपा ने सिस्टम में सुधार का वायदा किया था जो कई क्षेत्रों में सफल होता दिख रहा है। गाँवों को ई ग्राम से विश्व ग्राम बनाने की दिशा में भी कुछ काम हुआ है और गाँवों तक इंटरनेट की पहुंच में बढ़ोतरी हुई है।इस बात में कोई शक नहीं है कि जगह-जगह पर डिजिटल माध्यमों का प्रयोग बढ़ा है। लेकिन इसके बाद भी सच्चाई यह है कि कैश लेनदेन में तेज बढ़ोतरी हुई है जिससे उसके नोटबंदी के फायदे सवालों के घेरे में खड़े हो गये हैं।कर व्यवस्था और जीएसटीबीजेपी ने साल 2014 के अपने घोषणापत्र में कहा था कि यूपीए के टैक्स आतंक से व्यापारी वर्ग में हताशा आई है और निवेश के वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बीजेपी सभी राज्य सरकारों को जीएसटी के लिए तैयार करेगी और जीएसटी को प्रभावी तरीके से लागू करेगी। बीजेपी ने इस वादे को पूरा भी किया है। देश में जीएसटी को प्रभावी तरीके से लागू किया गया है और इससे पूरे देश में एक टैक्स प्रणाली लागू हो गई है। हालांकि, इसकी दरों में बदलाव और तर्कसंगतता को लेकर विपक्ष सरकार की आलोचना भी करता रहा है। यह भी आरोप लगाया जाता है कि सरकार ने बिना खास तैयारी के अचानक जीएसटी लागू कर दिया जिससे व्यापारी वर्ग को काफी परेशानी हुई।स्वदेशी, मेक इन इंडिया और ब्राण्ड इंडियास्वेदशी, ब्राण्ड इंडिया और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए बीजेपी ने घोषणापत्र में वादा किया था कि व्यापार के लिए बेहतर वातावरण बनाया जाएगा और लाल फीताशाही को कम किया जाएगा। पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की बात की गई थी। विनिर्माण को शक्तिशाली बनाकर मांग-आपूर्ति के बीच खाई को पाटने की बात कही गई थी। भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाने का वादा किया गया था। राज्य व केंद्र स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम लाने की बात कही गई थी। इन प्रयासों में बीजेपी सरकार को काफी हद तक कामयाबी मिली है।पीएम मोदी ने शपथ ग्रहण करने के कुछ ही महीनों बाद सितंबर 2014 में मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत की। इसका लक्ष्य भारत को डिजाइन एवं मैन्यफैक्चरिंग का वैश्विक हब बनाना था। इस योजना के लॉन्च होने के बाद भारत को सितंबर 2014 से फरवरी 2016 के बीच ही 16.40 लाख करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता मिली है। साल 2015 में भारत एफडीआई के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया था। मेक इन इंडिया की वजह से ही साल 2017-18 में भारत में आने वाला एफडीआई बढ़कर 62 अरब डॉलर तक पहुंच गया। एक अनुमान के अनुसार, मेक इन इंडिया की वजह से 2014 से 2018 के बीच घरेलू मोबाइल हैंडसेट और कम्पोनेंट मैन्युफैक्चररर्स का करीब 3 लाख करोड़ रुपये बचा है जो पैसा उन्हें विदेश भेजना पड़ता।
स्वदेशी, मेक इन इंडिया और ब्राण्ड इंडिया
स्वेदशी, ब्राण्ड इंडिया और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए बीजेपी ने घोषणापत्र में वादा किया था कि व्यापार के लिए बेहतर वातावरण बनाया जाएगा और लाल फीताशाही को कम किया जाएगा। पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की बात की गई थी। विनिर्माण को शक्तिशाली बनाकर मांग-आपूर्ति के बीच खाई को पाटने की बात कही गई थी। भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाने का वादा किया गया था। राज्य व केंद्र स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम लाने की बात कही गई थी। इन प्रयासों में बीजेपी सरकार को काफी हद तक कामयाबी मिली है।
पीएम मोदी ने शपथ ग्रहण करने के कुछ ही महीनों बाद सितंबर 2014 में मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत की। इसका लक्ष्य भारत को डिजाइन एवं मैन्यफैक्चरिंग का वैश्विक हब बनाना था। इस योजना के लॉन्च होने के बाद भारत को सितंबर 2014 से फरवरी 2016 के बीच ही 16.40 लाख करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता मिली है। साल 2015 में भारत एफडीआई के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया था। मेक इन इंडिया की वजह से ही साल 2017-18 में भारत में आने वाला एफडीआई बढ़कर 62 अरब डॉलर तक पहुंच गया। एक अनुमान के अनुसार, मेक इन इंडिया की वजह से 2014 से 2018 के बीच घरेलू मोबाइल हैंडसेट और कम्पोनेंट मैन्युफैक्चररर्स का करीब 3 लाख करोड़ रुपये बचा है जो पैसा उन्हें विदेश भेजना पड़ता।
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