लोकसभा चुनावों के नतीजे 23 मई को आने वाले को है। इन नतीजों के बाद नई सरकार के गठन की कवायद भी शुरू हो जाएगी। सरकार चाहे कोई भी आये लेकिन उसके सामने आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां कम नहीं हैं। आने वाली नई सरकार को महंगाई से लेकर नौकरी संकट तक की मुश्किलों से निपटना होगा। आइए जानते हैं कि नई सरकार के सामने क्या हैं चुनौतियां…
महंगाई
अगर महंगाई दर के आंकड़ों पर गौर करें तो यह कंट्रोल से बाहर होता जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कई खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने लगी हैं। अप्रैल में खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.92 फीसदी हो गई। जबकि इससे पिछले महीने मार्च में खुदरा महंगाई दर 2.86 फीसदी दर्ज की गई थी। इस लिहाज से 0.06 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि थोक महंगाई में थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन इसके बावजूद अगले महीनों में महंगाई के और बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
लुढ़कते शेयर बाजार
भारतीय शेयर बाजार लगातार लाल निशान पर बंद हो रहा है। सोमवार को लगातार नौवां दिन था जब शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। करीब 8 साल बाद यह पहली बार है जब बाजार इतना पस्त हुआ है। इस 9 दिन में सेंसेक्स 2000 अंक तक टूट गया है जबकि निफ्टी भी करीब 700 अंक लुढ़का है। शेयर बाजार के इस बुरे हालात के बीच निवेशक भारतीय बाजार में पैसे लगाने से बच रहे हैं। इस वजह से निवेशकों के 8.56 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं।
ऑटो इंडस्ट्री का हाल बेहाल
देश की ऑटो इंडस्ट्री इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। पिछले तीन महीनों से ऑटो प्रोडक्शन और सेल्स में जबरदस्त गिरावट आई है। लगभग 8 साल बाद ऑटो इंडस्ट्री की हालत इतनी पतली हुई है। अहम बात यह है कि ऑटो इंडस्ट्री के हर कैटेगरी में बिक्री में कमी आई है। इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि पिछले 10 साल में हमने ऐसा नहीं देखा कि सभी श्रेणियों में बिक्री में गिरावट दर्ज की गई हो। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के महानिदेशक विष्णु माथुर का कहना है कि अगर हालात यही रहें तो नौकरियों पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
बढ़ती बेरोजगारी
नौकरियों के मोर्चे पर भी गति काफी धीमी है। ईपीएफओ के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2018 से अब तक औसत मासिक नौकरी सृजन में 26 फीसदी की गिरावट आई है। सीएमआईई के आंकड़ों की बात करें कि 2017-18 में कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन में औसतन 8.4 फीसदी की बढ़त हुई है। यह पिछले 8 साल में सबसे कम है। साल 2013-14 में यह 25 फीसदी तक था।
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