दुनिया भर में क्लाइमेट चेंज को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है। इस बदलते जलवायु परिवर्तन के चलते कई तरह के कदम भी उठाए जा रहे है। वहीं अब ब्रिटेन में क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वाले एक संगठन की महिलाओं ने बच्चा पैदा नहीं करने का फैसला लिया है। इनका कहना है कि वह नहीं चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ियों को ग्लोबल वॉर्मिंग से कोई नुकसान उठाना पड़े।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन महिलाओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन गंभीर समस्या बनती जा रही है। उन्हें दुनिया में सूखे, अकाल, बाढ़ और ग्लोबल वार्मिंग का डर सता रहा है। ऐसे में वो चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन की गुणवता बेहतर हो।
क्लाइमेट चेंज के लिए काम करने वाली संगठन की प्रमुख ब्लाइथे पेपीनो ने कहा कि वह बच्चा चाहती है। वह अपने पार्टनर के साथ एक परिवार चाहती है। लेकिन, यह दुनिया बच्चों के रहने लायक नहीं है।
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पोपीनो ने 2018 के अंत में ‘बर्थस्ट्राइक’ ग्रुप का गठन किया था। अब तक इस संगठन से 330 लोग जुड़ चुके हैं। इसमें 80% महिलाएं हैं। पेपीनो का कहना है कि उन्होंने यह फैसला यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की चेतावनी के बाद लिया। इसमें कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए 11 साल बचे हैं।
हिमालय के ग्लेशियरों पर ग्लोबल वॉर्मिंग के असर का आंकलन करने वाली एक टीम ने पाया है कि साल 2000 से 2016 के बीच हर साल ग्लेशियरों की औसतन 800 करोड़ टन बर्फ पिघल रही है। खतरनाक आंकड़ा इसके पीछे है जो कहता है कि इससे पहले के 25 सालों यानी 1975 से 2000 तक हर साल औसतन 400 करोड़ टन बर्फ पिघलती रही, लेकिन इसके बाद के 16 सालों में ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार दोगुनी हो चुकी है।
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