पीएम मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पहला बजट पेश किया, जिस दौरान उन्होंने ‘ब्लू इकोनॉमी’ का जिक्र किया। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में दावा किया कि अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक पहुंचाने के लक्ष्य के लिए ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देना बेहद ज़रूरी है। आइए आपको बताते हैं कि क्या होती है ब्लू इकोनॉमी और इससे कैसे देश को होने वाला है फायदा..
ये होती है ब्लू इकोनॉमी
देश में 90 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग के जरिये किया जाता है। समुद्री रास्तों, नए बंदरगाहों और समुद्री सामरिक नीति के जरिये अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना ही ब्लू इकोनॉमी कहलाता है। वित्तमंत्री ने बजट में इसी पर फोकस करने की बात कही है। भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा है ऐसे में ब्लू इकोनॉमी पर फोकस करना अर्थव्यवस्था के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। बता दें कि ब्लू इकोनॉमी समुद्री इलाकों पर तो आधारित होती है लेकिन साथ ही इसमें पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही काम किया जाता है।
जानें, संसद में वित्तमंत्री द्वारा पेश किए गए बजट में किसको-क्या मिला
ब्लू इकोनॉमी के तहत काम करने के लिए सबसे पहले समुद्र आधारित बिजनेस मॉडल तैयार किया जाता है। साथ ही, सभी संसाधनों को ठीक से इस्तेमाल करने और समुद्री कचरे से निपटने के डायनामिक मॉडल पर कम किया जाता है। पर्यावरण फिलहाल दुनिया में एक बड़ा मुद्दा है ऐसे में ब्लू इकोनॉमी को अपनाना इस नज़रिये से भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। ब्लू इकोनॉमी के तहत फोकस खनिज पदार्थों समेत समुद्री उत्पादों पर होता है। समुद्र के जरिये व्यापार का सामान भेजना ट्रकों, ट्रेन या अन्य साधनों के मुकाबले पर्यावरण की दृष्टि से बेहद साफ़-सुथरा साबित होता है।
भारत भी आने वाले सालों में ब्लू इकोनॉमी के तहत समुद्री रास्तों और पोर्ट्स के रखरखाव और सुरक्षा पर अतिरिक्त ध्यान देने वाला है। इस एजेंडे के तहत समुद्र में पर्यावरण के अनुकूल इंफ्रास्टक्चर तैयार किया जाएगा। गौरतलब है कि नीति आयोग ने भी ब्लू इकोनॉमी के मद्देनज़र एक प्रस्ताव तैयार किया था जिसमें लंबी समुद्री सीमाओं के उपयोग से व्यापार को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।
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