लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला संसद की कार्यवाही के दौरान हिंदी भाषा पर काफी जोर देते है। वह वहां मौजूद सभी सदस्यों से हिंदी में ही बात करते है और हिंदी में ही सदन के नियमों का पालन करते है। लोकसभा में अब स्पीकर अंग्रेजी के ‘आइस’ और ‘नोस’ की जगह ‘हां’ और ‘ना’ का प्रयोग करते हैं। यही नहीं सदन में वह सांसदों के लिए ‘माननीय सदस्य’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
वहीं, सदन में कार्यवाही करते समय जब काफी हंगामा होता है तो उस समय स्पीकर ओम बिड़ला कहते है ‘आसन पैरों पर है’। दरअसल, आसन पैरों पर है का मतलब है कि सभापति आसन से खड़ा है और सभी सदस्य अब अपनी सीट पर बैठ जाए। सदन में ऐसी परंपरा है कि जब किसी चर्चा के दौरान कोई सांसद अपनी बात कह रहा हो और तभी अगर सभापति अपने आसन से खड़े हो जाएं तो उस सदस्य को अपनी बात रोककर बैठना पड़ता है।
आपको बता दे कि सदन में सभापति से बड़ा कोई पद नहीं है। प्रधानमंत्री तक उन्हें सभापति महोदय या माननीय सभापति कहकर ही संबोधित करते हैं। ऐसे में अगर वह अपने आसन से खड़े हो जाते हैं तो उनके सम्मान में सदस्यों को अपनी बात रोककर बैठना पड़ता है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इसका दूसरा पहलू है कि सदन की कार्यवाही के दौरान कही गई बातें लिखित में भी आती हैं ऐसे में दो लोगों के एक साथ बोलने पर उसे रिकॉर्ड में लेना भी मुश्किल होता है। इसी वजह से सदन में स्पीकर एक बार में किसी एक ही सदस्य को बोलने की इजाजत देता है, अगर कोई बीच में बोलता भी है तो दूसरे को तब तक के लिए चुप रहना पड़ता है।
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स्पीकर ओम बिड़ला ने सभापति बनने के बाद सदन चलाने की प्रक्रिया में काफी बदलाव किए हैं। उन्होंने सदस्यों से साफ तौर पर कह रखा है कि कार्यवाही के दौरान सदस्य सीट पर बैठकर आपस में बातचीत नहीं करेंगे, अगर जरूरी हो तो सदन से बाहर जाकर बात करें और फिर सदन में दाखिल हों। यही नहीं सदन में नए सदस्यों को अब ज्यादा मौके दिए जा रहे हैं और शून्यकाल में विषय उठाने के लिए लंच के टाइम को भी आगे बढ़ा दिया जाता है। ऐसा करने से ज्यादा सदस्यों को अपने मुद्दे उठाने का मौका मिलता है।