देश की अर्थव्यवस्था और बाजार में इन दिनों काफी सुस्ती छाई हुई है। जिसके चलते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अलग-अलग सेक्टर्स, उद्योग और आम आदमी को मंदी से राहत देने के लिए कई ऐलान किए। आर्थिक मंदी का सीधा असर ऑटो, रियल एस्टेट, टेलिकॉम और बैंकिंग से लेकर स्टील और टेक्सटाइल जैसे सेक्टरों पर दिखना शुरू भी हो गया है। वहीं, पीएम मोदी ने इंडियन इकॉनोमी को ट्रिलियन मिलियन करने की बात कही। आइये मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर बताते है कि आर्थिक मंदी किस वजह से अपनी रफ़्तार पकड़ रही है…
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है, जिसके कारण मंहगाई बढ़ गई है। वहीं मंहगाई बढ़ने से इसका सीधा असर बाजार पर देखा सकता है। वहीं, अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर की वजह से भी दुनिया में आर्थिक मंदी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिसका असर भारत पर भी पड़ रहा है।
इसके साथ ही, एक अन्य वजह ये भी है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आ रही है, इससे भी भारत की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई है। इसके अलावा, आयात के मुकाबले निर्यात में गिरावट से देश का राजकोषीय घाटा बढ़ा और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है।
हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि 2018-19 में देश की जीडीपी विकास दर 6.8 प्रतिशत रही, जो बीते 5 सालों में सबसे कम है। जिसके बाद आरबीआई ने मंदी की आहट को भांपते हुए साल 2019-20 के लिए विकास दर का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है।
वहीं, एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि देश में ऑटो सेक्टर में लगातार नौ महीने से बिक्री का स्तर काफी नीचे आ गया है। बता दे जुलाई में कार और मोटरसाइकिलों की बिक्री में 31 फीसदी की गिरावट आई है, जिसकी वजह से ऑटो सेक्टर से जुड़े साढ़े तीन लाख से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी चली गई और करीब 10 लाख नौकरियां खतरे में हैं।
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ऑटो सेक्टर ही नहीं, कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा 10 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले टेक्सटाइल सेक्टर की भी हालत खराब है। नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने तो बाकायदा अखबारों में विज्ञापन देकर खुलासा किया है कि देश के कपड़ा उद्योग में 34.6 फीसदी की गिरावट आई है। जिसकी वजह से 25 से 30 लाख नौकरियां जाने की आशंका है।
यही माहौल रियल एस्टेट सेक्टर में हैं, जहां मार्च 2019 तक भारत के 30 बड़े शहरों में 12 लाख 80 हज़ार मकान बनकर तैयार हैं लेकिन उनके खरीदार नहीं मिल रहे। यानी बिल्डर जिस गति से मकान बना रहे हैं लोग उस गति से खरीद नहीं रहे।
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खबरों की माने तो RBI द्वारा हाल में ही जारी आंकड़ों के मुताबिक बैंकों द्वारा उद्योगों को दिए जाने वाले कर्ज में गिरावट आई है। पेट्रोलियम, खनन, टेक्सटाइल, फर्टीलाइजर और टेलिकॉम जैसे सेक्टर्स ने कर्ज लेना कम कर दिया है।
इसी के साथ निवेश और औद्योगिक उत्पादन के घटने से भारतीय शेयर बाजार में भी मंदी का असर दिख रहा है। साथ ही, अप्रैल से जून 2019 की तिमाही में सोना-चांदी के आयात में 5.3 फीसदी की कमी आई है। जबकि इसी दौरान पिछले साल इसमें 6.3 फीसदी की बढ़त देखी गई थी।
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