आज के इस दौर में बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ लोगों के खाने-पीने में भी काफी बदलाव हो रहे है, जिसके चलते लोगों के शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों व विटामिन्स की काफी कमी हो रही है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में ज्यादातर लोगों में विटामिन डी की कमी है।
न्यूज़18 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई स्थित शुश्रुशा हॉस्पिटल में डायबिटोलॉजिस्ट पी.जी तलवलकर ने यह अध्ययन किया है। साथ ही, उन्होंने बताया कि लोगों में विटामिन डी की कमी खतरनाक बीमारियों के होने का खतरा रहता है।
वहीं, अब्बोट्ट इंडिया मुंबई के डायरेक्टर श्रीरुपा दास का कहना है कि भारत में लगभग 84 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी देखी गई है। यही असर उनके नवजात शिशुओं में भी पाई गई है। वयस्कों में, विटामिन डी की कमी लो बोन मास और मांसपेशियों की कमजोरी से जुड़ी होती है। जिसके परिणामस्वरूप फ्रैक्चर और हड्डियों के विकार जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
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इस रिसर्च में 1508 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें मुंबई के 88% व्यस्क लोगों में विटामिन डी की कमी देखी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में 84.2 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी थी। जबकि विटामिन डी की कमी वाले हाई ब्लडप्रेशर के 82.6 प्रतिशत मरीज थे।
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वहीं, हाइपोथायराइड के 74% मरीजों में भी विटामिन डी की कमी पाई गई है। बात अगर मोटापे की करें तो ये भी तथ्य चौंकाने वाला है कि 82% लोग जो मोटापे से ग्रसित हैं उनमें विटामिन डी की कमी पाई गई है।
भारत में विटामिन डी की कमी के विभिन्न कारण हैं। अधिकांश लोगों को सूर्य की रोशनी से पर्याप्त संपर्क प्राप्त नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शहरी और गतिहीन जीवन शैली के परिणामस्वरूप काम या अवकाश के लिए कम समय खर्च होता है। वायु प्रदूषण का उच्च स्तर भी लोगों में विटामिन डी की कमी का एक कारण है।
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