देशभर में नए मोटर व्हीकल एक्ट के लागू होने के बाद से नियन तोड़ने वालों के चालान दढ़हले से कट रहे है। इसी बीच एक ऐसा मामला सामने आया है जो बेहद ही चौंका देने वाला है। दरअसल हाल ही में एक कैब ड्राइवर का चालान इसलिए कटा क्योंकि उसने अपने पास कॉन्डम नहीं रखा था।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जेएनयू से नेल्सन मंडेला मार्ग पर मुड़ते ही ट्रैफिक पुलिस ने चेकिंग के लिए धर्मेंद्र नाम के एक कैब ड्राईवर को रोका। इस दौरान धर्मेंद्र ने सीट बेल्ट लगाए हुए थे और अपनी नीली वर्दी भी पहन रखी थी। साथ ही, गाड़ी चलाते वक़्त होने वाले सभी जरुरी कागजों को पुलिस ने चेक किया जोकि धमेंद्र के पास मौजूद थे।
वहीं, आगे पूछताछ के दौरान धमेंद्र ने ट्रैफिक पुलिस से कहा कि उनके पास तो फर्स्ट ऐड बॉक्स में कॉन्डम भी रखे हुए हैं। वह बॉक्स खोलकर दिखाते हैं, जिसमें डिटॉल, पैरासिटामॉल टैबलेट्स, बैंडेज और कॉन्डम रखे थे। धर्मेंद्र बताते हैं कि हाल ही में उनका चालान कॉन्डम न रखने के लिए भी हुआ था, तब से वह काफी सतर्क रहते हैं। हालांकि उन्हें चालान की जो रसीद दी गई थी, वह ओवरस्पीड के लिए थी।
रिपोर्ट की माने तो दिल्ली में बड़ी संख्या में ऐसे कैब ड्राइवर हैं, जो फर्स्ट ऐड बॉक्स में कॉन्डम रखकर चलते हैं। उनका मानना है कि यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो इसके लिए भी उनका चालान कट सकता है। दिल्ली की सर्वोदय ड्राइवर असोसिएशन के प्रेजिडेंट कमलजीत गिल ने बताया, ‘सभी सार्वजनिक वाहनों के लिए हर समय कम से कम तीन कॉन्डम लेकर चलना जरूरी है।’
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लेकिन ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है। फिटनेस टेस्ट के दौरान भी ऐसी कोई पड़ताल नहीं की जाती। यही नहीं यही नहीं पुलिस अधिकारी ने कहा कि यदि कॉन्डम न रखने पर चालान होता है तो कैब ड्राइवरों को अथॉरिटीज से संपर्क करना चाहिए। उनका कहना था कि कई बार एनजीओ वर्कर ड्राइवरों को सेफ सेक्स के बारे में बताते हैं। शायद इसी की वजह से वे रखते हों। बता दें कि दिल्ली मोटर वीइकल रूल्स, 1993 और सेंट्रल मोटर वीइकल रूल्स, 1989 में भी इसका कोई जिक्र नहीं है।
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इसीलिए दी जाती है कॉन्डम रखने की सलाह
इसके बारे में अधिकतर ड्रावइरों को नहीं पता कि सेफ सेक्स के अलावा कॉन्डम का इस्तेमाल क्या है। हालांकि, इसपर कमलजीत गिल बताते हैं कि इसका इस्तेमाल किसी की हड्डी में चोट आने या फिर कट लगने पर किया जा सकता है। वह बताते हैं, ‘यदि किसी व्यक्ति को ब्लीडिंग होने लगती है तो कॉन्डम के जरिए इसे रोका जा सकता है। इसी तरह फ्रैक्चर होने की स्थिति में उस जगह पर अस्पताल पहुंचने तक कॉन्डम बांधा जा सकता है।’