मैना कटारिया
भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) उदित उमेश ललित के उत्तराधिकारी के रूप में न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूड़) का नाम सामने आ रहा है। मुख्य न्यायाधीश यू-यू ललित 8 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त होंगे ,और 9 नवंबर 2022 को न्यायाधीश डी वाई न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद ग्रहण कर 50 में मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। न्यायाधीश(जस्टिस) चंद्रचूड़ का कार्यकाल 9 नवंबर 2022 से 10 नवंबर 2024 तक रहेगा। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नाम की अनुशंसा भारत सरकार से की है, इसलिए उनका सुप्रीम कोर्ट का अगला मुख्य न्यायाधीश बनना तय माना जा रहा है, वरिष्ठता के आधार पर भी डीवाई चंद्रचूड का ही नाम आगे आ रहा था।
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के पुत्र हैं डीवाई चंद्रचूड़-
इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि जब पिता के 37 साल बाद बेटा मुख्य न्यायाधीश बनेगा न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ ही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता हैं, जो कि 16 मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। जिनका कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक था। न्यायधीश चंद्रचूड़ के नाम ऐतिहासिक फैसले हैं जिसमें अयोध्या बाबरी मस्जिद विवाद, विवाहिता को गर्भपात का अधिकार, ज्ञान व्यापी की सुनवाई कुछ मुख्य मुद्दे हैं। डीवाई चंद्रचूड़ राम जन्मभूमि, बाबरी मस्जिद विवाद में ऐतिहासिक फैसला देने वाली पांच जजों की सविधान पीठ का हिस्सा थे।
इन महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल रहे हैं न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़-
सुप्रीम कोर्ट ने अब विवाहिता को भी गर्भपात कराने का अधिकार दिया है, जिसमें न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 2021 में संशोधन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच कोई भी भेदभाव नहीं करता। इस अधिकार के तहत अविवाहित महिलाएं 20 से 24 सप्ताह के अंदर सुरक्षित व कानूनी रूप से गर्भपात करा सकती हैं, इसके साथ ही न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मेरिटल रेप को परिभाषित करते हुए , इससे गर्भवती हुई महिलाओं को भी अपनी इच्छा से गर्भपात कराने का अधिकार दिया है।
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न्यायाधीश चंद्रचूड़ बतौर जज ज्ञानवापी की सुनवाई में भी शामिल हैं। इनके ऐतिहासिक फैसले को देखते हुए आम जनता को उनसे उम्मीद है कि वह ऐसे ही आगे समाज हितकारी फैसले लेंगे जिससे समाज में बदलाव आएगा। कहा जाता है कि भारत का लोकतंत्र तीन स्तंभों पर आसीन है जो हैं- कार्यपालिका, विधान पालिका और न्यायपालिका। इन तीनों पालिकाओं में न्यायपालिका को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह प्रत्येक नागरिक को उसके अधिकारों व कर्तव्यों से अवगत कराती है और साथ ही साथ उनके अधिकारों की रक्षा भी करती है।
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