राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी पर नकेल कसने की तैयारी पूरी कल ली गई है, उनकी जवाबदेही तय करने के लिए एक कानून भी लाया जा रहा है। यहां की गहलोत सरकार नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारियों को काम के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए ये कानून लाने की तैयारी में है, इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है और इसके लिए जनता से सुझाव भी मांगे जा रहे हैं। नौकरशाहों की जवाबदेही के कानून में क्या कुछ होगा इसे लेकर आज हम इस खबर में आगे जानेंगे।
राजस्थान जवाबदेही कानून 2020 में ये होगा-
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने वहां के प्रशासनिक सुधार विभाग को “राजस्थान जवाबदेही कानून 2022” बनाने को कहा है। इसके लिए उन्होंने प्रदेश की जनता जनार्दन से 9 नवंबर तक सुझाव भी मांगे हैं। इस कानून के जरिए सरकारी कर्मचारियों और अफसरशाही पर दबाव बनेगा और काम के प्रति उनकी जवाबदेही तय होगी।
इसके तहत अगर सरकारी कर्मचारी और अधिकारी दिए गए कार्य को तय समय में नहीं करते हैं तो इस स्थिती में उनकी नौकरी छीनने का प्रावधान भी शामिल किया गया है। आरटीआई यानी सूचना के अधिकार कानून को भी इसी कानून के अंतर्गत शामिल किया जाने का प्रावधान भी किया जा रहा है, या फिर आप इस कानून को आरटीआई का विस्तृत रूप भी मान सकते हैं।
इस कानून के तहत ये पांच अधिकार नागरिकों को मिलेंगे-
सरकारी विभाग में काम कराने गए नागरिक के पूछे जाने पर ये बताना होगा कि उसका कार्य कौनसा अधिकारी या कर्मचारी करेगा।
किसी भी काम को 30 दिनों के भीतर पूरा करना होगा, ऐसा न करने पर सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
कोई कार्य किया जाएगा या नहीं इसे लेकर एक जवाबदेही और जिम्मेदार सरकारी कार्मिक तय किया जाएगा।
काम अगर जायज है, बावजूद इसके अगर उसे तय समय में पूरा नहीं किया गया तो संबधित अधिकारी या कर्मचारी की सैलरी काटने से लेकर उसके
खिलाफ प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही का प्रावधान होगा।
अगर कोई सरकारी कर्मचारी लगातार तीन बार पूछे जाने के बावजूद अपनी जवाबदेही नहीं देता या कार्य को पूरा नहीं करता तो उसकी नौकरी को पूरी तरह
खत्म करने का नियम बनाया जा रहा है।
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राजस्थान में 201 अफसरों का तबादला-
राजस्थान में इस वक्त अशोक गहलोत सरकार एक्शन में दिख रही है। इसका सबूत है कि एक साथ राज्य में 201 आरएएस अफसरों के तबादले किए गए हैं। इसे चुनावी वर्ष का असर भी माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि अभी 100 से अधिक अफसरों के तबादले किए जाने हैं। करीब एक माह पहले राज्य के जोधपुर में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की मीटिंग में सख्त चेतावनी दी थी, उन्होंने कहा था कि यहां की सड़कों की हालत बेहद खराब है, ये उनका गृह जिला है। उन्होंने कहा था कि क्या अफसरों को बिलकुल भी शर्म नहीं आती है?
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