मैना कटारिया
सकट चौथ का त्यौहार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है क्योंकि इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है और भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करती है, सकट चौथ को हम तिलकुट चौथ के नाम से भी जानते हैं हिंदू वेदों के अनुसार सकट चौथ का पर्व माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है और इस साल 2023 में सकट चौथ मंगलवार 10 जनवरी को मनाया जा रहा है।
कैसे पूर्ण होता है सकट व्रत-
हिंदू धर्म के अनुसार महावीर चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और सकट व्रत रखा जाता है इस दिन भगवान गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है और इस व्रत में चंद्रमा की पूजा पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है क्योंकि सकट व्रत तक पूर्ण माना जाता है जब रात्रि के समय चंद्रमा देखने के बाद उसकी पूजा-अर्चना की जाए और चंद्रमा को अर्घ दिया जाए वरना सकट व्रत पूर्ण नहीं होता।
क्यों मनाया जाता है सकट व्रत–
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री कृष्ण ने अपनी माता पार्वती और पिता महादेव की परिक्रमा कर उन्हें अपना संपूर्ण संसार बताया था, जिसे खुश होकर महादेव और पार्वती ने यह कहा जो भी इस दिन भगवान गणेश की पूजा करेगा उसकी संतान को दीर्घायु होने का फल मिलेगा अब से लेकर आज तक यह व्रत अपनी संतानों के लिए माताएं करती आई है ताकि विघ्नहर्ता उनकी संतान पर आने वाले विघ्न को हर कर उनकी संतान के जीवन में खुशियां भर दे। सकट व्रत को लेकर यह भी कहा जाता है, की माता के व्रत इसलिए करती है ताकि उनकी संतान तनाव और रोग मुक्त रहकर खुशी से अपना जीवन जी सकें।
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सकट व्रत की विधि-
सकट चौथ के दिन व्रत करने वाले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें अगर वस्त्र लाल या पीले रंग के हो तो उसे हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है जिसके बाद व्रत धारी को भगवान श्री गणेश की पूजा करनी चाहिए, जिसके बाद दोपहर के समय गुड़ तिल का प्रसाद बनाया जाता है और भगवान गणेश को भोग लगाकर व्रत धारी उस प्रसाद का कुछ भाग ग्रहण करते हैं, रात्रि के समय जब चंद्रमा उदय हो जाए तब व्रत धारी को चंद्रमा की पूजा अर्चना करनी चाहिए चंद्रमा को जल के साथ दूध का अर्घ देना चाहिए जो व्रत धारी चंद्रमा को अर्घ देते हैं तभी सकट व्रत पूर्ण माना जाता है।
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