अक्सर जब दो लोगों को विवाह के बंधन में बांधा जाता है तो उससे पहले उन दोनों की कुंडली का मिलान किया जाता है दोनों की कुंडली के मिलाव से ही यह निश्चित किया जाता है कि उनका वैवाहिक जीवन कैसा होगा। लेकिन कुछ लोग इन कुंडलियों पर विश्वास नहीं करते। कुंडली का सातवां घर यह तय करता है कि हमारा वैवाहिक जीवन कैसा होगा। सातवें घर के ग्रहों की स्थिति ही पति पत्नी के जीवन को प्रभावित करती हैं। ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंडली के सातवें घर में शुभ योग है तो आपका वैवाहिक जीवन भी खुशहाली से भरा होता है पति-पत्नी दोनों ही अपने जीवन में खुश रहते हैं लेकिन जब आपकी कुंडली के सातवें घर में या उसके आसपास कोई अशुभ योग बन रहा है तो इसका प्रभाव आपके वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। एक स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव से उसके पति और एक पुरुष के सप्तम भाव से उसकी पत्नी के गुणों के बारे में विचार किया जाता है। आइए बताते हैं कि किस तरह कुंडली के सातवें भाव में ग्रहों की स्थिति पति-पत्नी के जीवन को प्रभावित करती हैं।
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1. यदि किसी स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य देव विराजमान है और सप्तमेश कमजोर है तो उस स्त्री का पति हमेशा क्रोध में रहता है, किसी भी व्यक्ति का क्रोध वह अपनी पत्नी पर ही निकालता है। जिनके सप्तम भाव में सूर्य होता है उन दोनों पति-पत्नी के बीच अक्सर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं।
2. यदि आपकी कुंडली के सातवें घर में सूर्यदेव पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि है तो इससे भी पति पत्नी के बीच लड़ाई झगड़े होते रहते हैं और तलाक होने की भी नौबत आ जाती है।
3. यदि आपकी कुंडली के लग्न भाव में मंगल या शनि की राशि में शुक्र हो और सातवें स्थान पर शुभ ग्रह का प्रभाव हो तो ऐसे में पत्नी अपने पति को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह कर लेती है।
4. कुंडली में चंद्रमा और शुक्र अशुभ ग्रहों के साथ सातवें स्थान पर विराजमान है तो पति पत्नी गुप्त रूप से अपने वैवाहिक जीवन को तोड़ देते हैं।
5. यदि पुरुष की लग्न कुंडली में शनि और राहु दोनों है तो वह पुरुष अपने पत्नी का त्याग कर देता है।
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