किरण शर्मा
ज्यादातर लोगों को किताबें पढ़ना बहुत पसंद होता है, किताबें ज्ञान का भंडार होती है पर किताबें पढ़ने से ज्यादा कलाकार किताबें लिखने वाले होते है और एक ऐसी ही कलाकारी कर दिखाई है, प्रयागराज के मध्यमवर्गीय परिवार के रहने वाले 22 वर्षीय अम्मार यासीन ने जो केवल दसवीं तक पढ़ा है। लेकिन आज उसके द्वारा लिखी गई किताब की चर्चा विदेशों तक हो रही है। अम्मार ने ऐसी किताब लिखी है जिसके बारे में अभी तक किसी लेखक ने विचार नहीं किया होगा। यह किताब एन्क्रिप्टेड कोड में लिखी गई है, इस मास कोड की उत्पत्ति 1800 ईस्वी में हुई थी। इसलिए यह किताब दुनिया की अनोखी किताब बन गई है।
कैसे आया किताब का आइडिया?
मीडिया से बातचीत के दौरान, अम्मार बताते हैं कि साल 2020 में लॉकडाउन के समय उन्हें खेल- खेल में यह किताब लिखने का विचार आया था। यह किताब एनक्रिप्टेड कोड में लिखी गई है, साल 2020 के अंत तक उन्होंने इसकी केवल 200 प्रतियां छपवाई थी। यह बिना प्रकाशक की केटेगरी में छपी थी लेकिन आज इस किताब का नाम विदेशों तक गूंज रहा है। अम्मार बताते हैं, कि वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं उनके पिता मो. यासीन छोटा-सा बिजनेस करते हैं और उनकी मां परवीन सरकारी टीचर है।
वह कहते हैं, कि वह स्कूल में एक एवरेज स्टूडेंट थे लेकिन उन्हें शुरू से ही टेक्नोलॉजी से बेहद प्यार रहा है। इसलिए दिल्ली आकर उन्होंने जामिया विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन कंप्यूटर इंजीनियरिंग के कोर्स में एडमिशन लिया। कोरोना के समय घर पर रहकर पढ़ाई करनी पड़ती थी तभी उनके मन में मास कोड लैंग्वेज सीखने का विचार आया। अम्मार बताते हैं, कि उनकी हैकिंग में बेहद रुचि है इसलिए उन्होंने अपनी बुक का कांसेप्ट हैकिंग को ध्यान में रखकर चुना था। बुक का टाइटल ‘द साल्टेड’ मास कोड के आधार पर ही रखा गया है जो सबसे अनोखा है।
क्यों इतनी प्रसिद्ध हो रही किताब?
दरअसल, यह किताब मास कोड लैंग्वेज पर आधारित है जोकि लगभग 1800 साल पुरानी है। यह एक इंक्रिप्शन तकनीक है जोकि एक तरह के डिफेंस की भाषा है, जिसका इस्तेमाल दुश्मन को चकमा देने के लिए होता है। इस लैंग्वेज का इस्तेमाल सूचना को गुप्त रखने के लिए किया जाता है इस लैंग्वेज को कोई व्यक्ति तब तक नहीं समझ सकता जब तक उसे हिडन लैंग्वेज पूरी तरह नहीं आती हो। इसलिए यह किताब अन्य सभी किताबों से अनोखी है।
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विदेशी पुस्तकालयो में बढ़ रही किताब की डिमांड –
यह किताब विदेशों में भी बहुत फेमस हो रही है। ‘द साल्टेड’ नाम से प्रकाशित इस किताब को मैसाचुसेटस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय, जेएमआई और आईटीआई दिल्ली जैसे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों में जगह मिली है और करोड़ों तक के निवेश के ऑफर आ रहे हैं। यह किताब अब दुनिया के मास कोड लवर रीडर तक पहुंच गई है और उन्हें यह बेहद पसंद आई है।
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अब इस किताब के लिए तीन करोड़ रुपए के ऑफर आ रहे हैं, किताब की सफलता पर अम्मार बताते हैं, कि अब वह मेटावार्स लाइब्रेरी एक पब्लिशिंग हाउस और एक डिजिटल अक्राईव को मिलाकर एक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित कर रहे है। जिससे लेखकों और पाठकों को अपने काम को आसान बनाने में मदद मिलेगी इससे लोगों को कंटेंट चोरी या प्लेगेरिज्म के बारे में चिंता नहीं रहेगी। किसी भी चीज के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी यह सब कुछ सुरक्षित रखने में मदद करेगा।