फाल्गुन मास गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय को गोविंद मास के नाम से भी जाना जाता है, उसमें एक अत्यंत महत्वपूर्ण एकादशी आती है जिसे विजया एकादशी कहा जाता है। ये एकादशी अपने नाम के अनुसार हर तरह से विजय प्रदान करती है। एकादशी का पालन करने से व्यक्ति अपने शत्रु से विजय प्राप्त करता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि विजया एकादशी का व्रत किस प्रकार किया जाता है और इसके क्या नियम है।
विजया एकादशी कब है-
इस वर्ष 16 फरवरी और 17 फरवरी को विजया एकादशी का व्रत किया जाएगा। गृहस्थ के लिए यह व्रत 16 फरवरी को है। यदि आप किसी कठिन कार्य में सफल होने के लिए यह व्रत करना चाहते हैं तो आपको विजय एकादशी का व्रत 16 फरवरी को ही रखना चाहिए। इस व्रत को करने से आपके दुखों का निवारण हो जाता है और आपके जीवन में खुशहाली रहती है। यदि आप अपने शत्रुओं पर विजय पाना चाहते हैं तो आप इस व्रत को जरूर करें।
विजया एकादशी की पूजा विधि-
भगवान विष्णु के मूर्ति या तस्वीर की स्थापना एक कलश पर करें। इसके पश्चात श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें और अपने मस्तक पर सफेद चंदन या गोपी चंदन लगाएं, ऐसे पूजा करना आपके लिए बेहतर होगा। इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें। यदि आप चाहें तो एक समय उपवास रखकर एक समय पूर्ण सात्विक भोजन ग्रहण करें, यदि आप पूरे दिन उपवास रखते हैं तो यह आपके लिए अति उत्तम होगा। पारण करने के अगले दिन कलश और एक वस्त्र किसी निर्धन व्यक्ति को दान कर दें, ऐसा करने से आपका व्रत सफल हो जाता है।
विजया एकादशी पर किन बातों का ध्यान रखें-
यदि आप एकादशी के दिन उपवास रखते हैं तो यह आपके लिए बहुत ही अच्छा होता है। यदि आप भोजन ग्रहण भी करते हैं तो भोजन सात्विक होना चाहिए यानी कि भोजन में लहसन प्याज ना हो। एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें। रात के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है इसलिए रात को भी आप एक बार पूजा उपासना जरूर करें। यदि आप एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो किसी व्यक्ति पर क्रोध ना करें और अपने आचरण पर नियंत्रण रखें।