किरण शर्मा
भारत अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराओं की वजह से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ऐसे में अलीगढ़ में बसा धोर्रा माफी (Dhorra Mafi) भारत के गांवों की अलग तस्वीर पेश करता है। जहां गांव को सिर्फ रूढ़िवादी सोच और खेत-खलियान के व्यवसाय तक सीमित समझा जाता है वहीं धोर्रा माफी पूरे एशिया का सबसे साक्षर गांव है। यहां महिलाएं भी पुरुषों के बराबर पढ़ी लिखी है। अलीगढ़ जिले के जवां ब्लॉक में बसा यह गांव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में प्रसिद्ध है। साल 2002 में इस गांव का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया था। यह गांव भारत के अन्य गांव के लिए एक मिसाल पेश करता है।
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क्या है सुविधाएं-
इस गांव की साक्षरता दर 75 फ़ीसदी से ज़्यादा दर्ज की गई है।
यहां पक्के मकान, 24 घंटे बिजली, पानी की सुविधा और पढ़ने-लिखने के लिए कई इंग्लिश मीडियम स्कूल और कॉलेज है। इस गांव में यह अनोखा है, कि यहां के लोग खेती के बजाय नौकरी पर ज्यादा निर्भर है। इस गांव की आबादी तकरीबन 20,000 है और यहां के सभी लोग आवश्यक सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर है लेकिन फिर भी अभी तक इस गांव को अलीगढ़ शहर के हिस्से के रूप में शामिल नहीं किया गया है।
बड़े पदों पर तैनात हैं गांव के लोग-
एक रिपोर्ट के अनुसार, धोर्रा माफी गांव के करीब 90 फ़ीसदी लोग साक्षर है। जिसमें से कई लोग देश भर के कई बड़े पदों पर तैनात हैं
और गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। यह गांव अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से सटा हुआ है इसलिए वहां के प्रोफेसर और डॉक्टर ने गांव में अपना घर बना लिया है। इसके अलावा इस गांव के कई लोग डॉक्टर इंजीनियर
वैज्ञानिक, प्रोफेसर और आईएएस प्रोफेसर के पद पर तैनात है। गांव की महिलाएं भी शिक्षित और आत्मनिर्भर है। गांव की रहने वाली शादाब बानो
एएमयू में प्रोफेसर है इसके अलावा गांव के ही रहने वाले अलावा डॉ सिराज आईएएस अधिकारी है और डॉ नाइमा भी एएमयू में पढ़ा चुकी हैं।
इस तरह इस गांव के कई लोग देश और विदेशों में अपने नाम का परचम लहरा रहे हैं।
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