किरण शर्मा
भारत के प्रतिष्ठित उद्योग, चाय पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं । इस खतरे के पीछे कई कारण है चाय बागानों की बिगड़ती हालत की वजह से पिछले साल दार्जलिंग में 30- 40 बाग़ ऐसे थे जो बिकने के कगार पर थे जिसके पीछे की वजह यह थी, कि उनके मालिकों को अपना खर्चा निकलना मुश्किल हो रहा था। इसके अलावा पिछले महीने जलपाईगुड़ी में भी एक चाय बागान बंद कर दिया गया जिससे करीब 1200 कर्मचारी ऐसे थे जो बेरोजगार हो गए, कर्मचारी जब सुबह उठे तब तक प्रबंधक भाग गए थे क्यूंकि वह कर्मचारयों को तनख्वाह देने में असमर्थ थे।
इससे पहले भी जनवरी में त्रिपुरा के सबसे बड़े चाय बागान मुर्तिचेर्रा चाय एस्टेट के दिवालिया होने के बाद कर्मचारियों को उनके काम के पैसे ना देने पर प्रबंधको पर हमला करने बाद एस्टेट को लंबे समय के लिए बंद कर दिया गया था लेकिन यह सिलसिला इतने में ही थमने का नाम नहीं ले रहा है।
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वहीं आपको बता दें, कि चीन के बाद भारत चाय का सबसे बड़ा प्रतिष्ठित उत्पादक है। चाय उद्योग पर आई परेशानियों को लेकर पश्चिम और पूर्वोत्तर क्षेत्र भरी दबाव में है जोकि भारत की 80 % चाय का उत्पान करते है। चाय उद्योग कई कारणों से समस्यों से घिरा हुआ है जैसे – कीमत, मांग, उत्पान, श्रम और जलवायु परिवर्तन। जापान की तरफ से चाय की खरीद को लेकर सुस्ती दिखाने के बाद चाय की वैश्विक मांग में भी गिरावट आई है।
कुछ दिनों पहले ,चाय उत्पादक का प्रतिनिधित्व करने वाली टी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने संकटकालीन स्थिति को लेकर सुझाव दिया, कि सभी चाय उत्पादक, उद्योग के नेता , खुदरा विक्रेता , विशेषज्ञ और बेनेफिशरी एक साथ आकर चाय को एक पाइपिंग हॉट उत्पाद बनने के लिए बनाने के लिए समाधान खोजने के मदद करें।
जलवायु परिवर्तन का चाय उद्योग पर असर-
असम और उत्तरी बंगाल के क्षेत्रों में चाय उद्योग पर जलवायु परिवर्तन के कारण हानिकारक प्रभाव देखने को मिल रहे है। अनियमित मौसम पैटर्न, कम वर्षा, अत्यधिक तापमान आदि के कारण चाय के उत्पान पर गंभीर प्रभाव पड़े है। चाय के बागान ज्यादातर जलवायु पर निर्भर होते है। पिछले कुछ समय से बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और बिगड़ते मौसम तापमान की वजह से चाय बागानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और अब स्थिति यहां तक पहुंच गई है, कि बिना सिचाईं के चाय बागानों का जीवित रह पाना मुश्किल हो रहा है।
भारत के चाय उद्योग को वैश्विक और घरेलू दोनों बाजारों में मांग की गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। भारत के द्वारा सालाना लगभग 1,400 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन करता है जिसका अब 20% से भी कम निर्यात किया जा रहा है। 2022 में किया गया निर्यात 2016 के समान स्थिर बना हुआ है लेकिन आने वाले समय में अगर चाय बागानों की यही स्थिति बनी रही तो उद्योग डूबने की कगार पर आ सकता है।
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