Haryana News: हरियाणा में अब गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से प्रदेश में टोपीदार बंदूकों के लाइसेंस रद्द करने के आदेश दिए गए हैं इसके साथ ही उन बंदूकों को भी जब्त करने के आदेश भी जारी किए गए है। इन बंदूकों के रद्द करने के पीछे का कारण यह है की कई सालों से हरियाणा में टोपीदार बंदूकों से फसल रखवाली के नाम पर वन में रहने वाले जानवरों को मारने के मामले सामने आ रहें हैं। अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के प्रदेशाध्यक्ष विनोद कड़वासरा ने इसके लिए विभाग से रिपोर्ट मांगी थी कि शिकार के कितने मामले ऐसे है जिसमे टोपीदार बंदूक का इस्तेमाल किया गया है।
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अवैध रूप से कर रहे हैं शिकार-
इसमें यह सामने आया है की बंदूक का फसल की रखवाली करने के नाम पर इसका इस्तेमाल जानवरों का शिकार करने के लिए करते हैं। कुछ समय पहले 16 दिसंबर 2021 को फतेहाबाद के गांव ढिंगसरा में वन्य प्राणी रक्षक सुरेश कुमार की इसी बंदूक से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय इस मुद्दे पर काफी चर्चा भी हुई थी। लेकिन अब वन्य मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने इस विषय में आदेश जारी किया है और इससे वन्यजीव प्राणियों को बड़ी कामयाबी मिली है।
क्या है टोपीदार बंदूक-
टोपीदार बंदूक को हरियाणा की भाषा में टोपीदार बन्दूक को लम्चड़ बंदूक भी कहा जाता है। इस बन्दूक में रांग व बारूद के साथ लोहे की गोली के छर्रे, साइकिल के हैंडल की गोलियां डालकर जानवरों पर इस बन्दूक से फायर किया जाता है। इससे वन्यजीव घायल हो जातें हैं। असल में आर्म्स एक्ट में इस तरह की बंदूकों को रखने के लिए लाइसेंस रखने का प्रावधान रखा गया है। ताकि इस बन्दूक का इस्तेमाल करके किसान जंगली जीवों से अपनी सुरक्षा कर सकें। लेकिन कुछ सालो में यह देखा गया है कि इस टोपीदार बन्दूक के लाइसेंस अधिकतर रूप से शिकारियों के पास है। वह इस बन्दूक का इस्तेमाल शिकार करने के लिए करते हैं।
जारी किये गए आदेश से कितना लाभ होगा-
अब इस बन्दूक का इस्तेमाल कोई भी किसान नहीं करेगा और पुलिस विभाग के द्वारा जिन लोगो के पास ये बन्दूक और लाइसेंस है उनका लाइसेंस रद्द करके उनसे बंदूके जमा करवा ली जाएंगी। एक किसान का ऐसा कहना है कि अधिकारियों के इस फैसले से किसानो को भी फायदा होगा। क्योंकि कई लोग ऐसे होते हैं जोकि इन बंदूकों के द्वारा जानवरों को खदेड़ देतें हैं जिससे कि हमारी फसलों का भी नुक्सान होता हैं।
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