दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है कई निचले इलाकों में घरों में यमुना का पानी घुसने की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। दिल्ली में यमुना नदी आज 260 मीटर के निशान को पार कर चुकी है, यह 10 सालों में उच्चतम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। दिल्ली में पिछले दिनों में भारी बारिश की वजह से यमुना के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है, दिल्ली के इलाके में यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर चुका है बुधवार यानी आज सुबह 8:00 बजे यमुना का जलस्तर 207 मीटर दर्ज किया गया।
VIDEO | The Yamuna river in Delhi swelled to the highest recorded level in 10 years today as it crossed the 207-metre mark.
Delhi recorded a rapid increase in the Yamuna water level amid heavy rainfall over the last two days. pic.twitter.com/HC5pp4fs2c
— Press Trust of India (@PTI_News) July 12, 2023
अधिकारियों का क्या कहना है-
मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी का जलस्तर 206 मीटर के निशान को पार कर गया था। जिससे बाढ़ संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का काम भी शुरू कर दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि ऐतिहासिक पुराने रेलवे पुल को सड़क पर रेल यातायात के लिए बंद कर दिया गया है अनुमान से पहले ही यमुना नदी का जलस्तर सोमवार के खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया था।
VIDEO | Yamuna river in Delhi crossed warning mark of 204.5 metres as Haryana released water into the river from the Hathni Kund barrage amid persistent rains. pic.twitter.com/Sk1cCobQCo
— Press Trust of India (@PTI_News) July 10, 2023
ज्यादा पानी छोड़े जाने की वजह से-
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, हरियाणा द्वारा यमुनानगर में हथिनी कुंड बैराज से यमुना नदी में ज्यादा पानी छोड़े जाने की वजह से सोमवार शाम 5:00 बजे पुराने रेलवे पर जलस्तर बढ़ गया और 205.4 मीटर तक पहुंच गया। इसी के साथ मंगलवार दोपहर 12:00 बजे तक यह निशान 206.38 मीटर तक पहुंच गया।
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संभावित क्षेत्रों पर निगरानी-
यमुना नदी में खतरनाक रूप से जलस्तर को देखते हुए पुलिस ने मंगलवार को यह घोषणा भी की थी कि गांधीनगर और आयरन ब्रिज पुस्ता रोड को अगली सूचना तक जनता के लिए बंद कर दिया गया है। दिल्ली सरकार ने यमुना स्तर और बाढ़ संभावित क्षेत्रों पर निगरानी रखने के लिए 16 नियंत्रण कक्ष बनाए हैं, लगभग 41,000 लोग नदी के पास के निचले इलाकों में रहते हैं जो बाढ़ की चपेट में है।
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