सनातन धर्म में शादीशुदा महिलाएं अपने सोलह श्रृंगार में चूड़ियों को भी शामिल करती हैं। महिलाओं की चूड़ियां ना सिर्फ उनके शादीशुदा होने का प्रमाण देते हैं, बल्कि चूड़ियों से जुड़े कई धार्मिक दृष्टिकोण भी प्रचलित है। आइए आज उन्हीं दृष्टिकोणों पर नज़र डालते हैं।
वैदिक काल से महिलाएं पहनती है चूड़ियां-
महिलाओं के द्वारा अपने सोलह श्रृंगार में प्रयोग किए जाने वाले सिंदूर, पायल, बिछिया, मंगलसूत्र और बिंदिया के साथ-साथ हाथों में चूड़ियां पहना भी काफी जरूरी होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि हाथों में चूड़ियां पहनने की कला पारंपारिक वैदिक युग से ही चली आ रही हैं। इसके साथ ही मोहनजोदड़ो की सभ्यता से भी महिलाओं के द्वारा हाथों में चूड़ियां पहनने के परिणाम मिलते हैं। खुदाई के दौरान मिली सनातन धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियों के हाथों में मिली चूड़ियां इसका सबूत है।
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धार्मिक दृष्टिकोण-
महिलाओं के द्वारा चूड़ियों को हाथों में पहना ना सिर्फ उनके 16 श्रृंगार से जुड़ा है, बल्कि चूड़ियों से जुड़ी कई धार्मिक दृष्टिकोण भी है। ऐसी ही एक धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार, महिलाओं की चूड़ियों से होने वाली खनखन से जीवन में चलती कई बाधाएं दूर हो जाती हैं। दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि महिलाओं की चूड़ियां मां लक्ष्मी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, जिसके चलते उनके घर में मां लक्ष्मी वास करती हैं।
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