शनि देव को न्यायकर्ता के नाम से भी जाना जाता है और सनातन धर्म में शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि अच्छे कर्म करने वालों पर कभी भी शनिदेव की वक्री दृष्टि नहीं पड़ती। क्योंकि शनिदेव की वक्री दृष्टि बहुत ही खतरनाक होती हैं। वक्री दृष्टि से बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं और स्वस्थ पर भी बुरा असर पड़ता है।
कई लोग इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए विधि विधान से शनिदेव की पूजा अर्चना करते हैं। शनिदेव की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ है।
इस समय करें शनिदेव की पूजा-
सनातन धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को अर्पित होता है। लोग शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए उनकी पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा भी करते हैं। शनिदेव की पूजा का समय बहुत जरूरी होता है।ऐसा माना जाता है की शनिदेव की पूजा सूर्य ढलने के बाद करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। सूर्य और शानि दोनों पिता पुत्र जरूर है लेकिन दोनों के बीच शत्रुता है। जिसकी वजह से सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें सीधे शानि की पीठ पर पड़ती है। जिसके चलते सूर्योदय के समय की पूजा शनिदेव को अस्वीकार होती है।
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इन बातों का रखें विशेष ध्यान-
ऐसा माना जाता है कि शनिदेव की पूजा करते समय भक्तों का मुंह पश्चिम दिशा में होना चाहिए तभी उसे उसकी पूजा का पर मिलता है। इसके साथ ही शनिदेव की पूजा करते समय आपको लाल रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। आपको नीले व काले रंग के वस्त्र पहने चाहिए। इसके साथ ही शनिदेव की पूजा करते समय उनकी आंखों में ना देखें।
शनि देव की पूजा में साबुत उड़द, लोहा, तेल, तिल के बीज, पुखराज रतन के साथ काले कपड़े अर्पण करने से शनिदेव की साढ़ेसाती कम हो जाती है। यदि जीवन में शांति, कार्य सिद्धि और सुख समृद्धि चाहते हैं, तो आपको शुभ शनि यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
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