हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने असली शिवसेना किसकी है? और शिंदे गुट के 16 विधायक की क्या योग्यता है? इन सवालों का जवाब देते हुए अपना फैसला सुनाया है। जिसका मतलब साफ हो गया है कि राज्य सरकार की स्थिति जैसी थी वैसी ही बनी हुई है और उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। अपने फैसले में राहुल नार्वेकर ने बहुत से महत्वपूर्ण चीजों का जिक्र किया। जिसके मुताबिक उद्धव ठाकरे ने ऐसी गलती कर दी है जिसके चलते ना वह पार्टी बचा सके और ना ही सरकार बचा सके, पहले तो इस सरकार जाने पर बहुत सी चीज शामिल हैं। जिसमें कांग्रेस से समझौता करना भी शामिल है। लेकिन उसके बाद जब पार्टी बढ़ाने की बात आई तो उधर ठाकरे ने एक बड़ी चुक की।
असली शिवसेना का दर्जा-
शिवसेना शिंदे गुट के 16 विधायक की योग्यता के मामले में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे को हटाने की ताकत उद्धक ठाकरे के पास मौजूद नहीं है। शिवसेना प्रमुख के पास पार्टी के किसी भी नेता को हटाने का कोई अधिकार नहीं है। एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाया जाना स्वीकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट को ही असली शिवसेना का दर्जा मिला है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए निर्वाचन आयोग के निर्णय का भी ध्यान रखा है। दरअसल बात यह है कि जब पार्टी टूटी तो उधर ठाकरे ने संविधान बदला तो इसकी जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी।
हलफनामे में संविधान के बदलाव की जानकारी नहीं-
अपने हलफनामे में उन्होंने संविधान के बदलाव के बारे में जानकारी नहीं दी और चुनाव आयोग में शिवसेना के तब के संविधान के बारे में जिक्र किया गया है, जब पार्टी टूटी नहीं थी। राहुल नार्वेकर ने इसका जिक्र अपने फैसले में करते हुए कहा की कोर्ट के मुताबिक दोनों गुटों ने पार्टी के संविधान के अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए हैं, तो अब इसमें किस बात को ध्यान में रखना चाहिए, जो संविधान में पार्टी के टूटने से पहले दोनों पक्षों की सहमति से चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया गया था या टूटने के बाद। राहुल नार्वेकर का कहना है कि शिवसेना का 1999 का संविधान ही सर्वोपरि है और संशोधन निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे के वकील देवदत्त कामत की भी दलीलों का जिक्र किया।
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2018 में संशोधित संविधान वैध नहीं-
उन्होंने कहा कि शिवसेना के 2018 में संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता। यह सूचना आयोग के रिकॉर्ड में मौजूद ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मैं किसी अन्य कार्य पर नहीं जा सकता। जिसके आधार पर संविधान मान्य है। रिकॉर्ड के मुताबिक में वैध संविधान के रूप में शिवसेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं। फिलहाल अपने फैसले में विधानसभा स्पीकर ने शिवसेना शिंदे के 16 विधायकों की योग्यताओं पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि उनकी योग्यता बरकरार रखी गई है। उनका कहना है कि यह फैसला बहुमत के आधार पर लिया गया है। ऐसे में अब महाराष्ट्र सरकार की स्थिति जैसी की तैसी बनी हुई है और ऐसी ही रहेगी। उद्धव एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
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