Gyanvapi: इस सप्ताह में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक नया मोड़ सामने आया है। 11 लोगों ने एएसआई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए आवेदन किए थे और अब इन आवेदनों को सार्वजनिक कर दिया गया है। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील का कहना है कि सर्वेक्षण में शिवलिंग का विवाद स्पष्ट हो जाने पर वह जीत के कगार पर होंगे। सप्ताह की शुरुआत में ही वाराणसी अदालत में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और हार्ड कॉपी उपलब्ध कराने के लिए कहा है। वकील शंकर जैन जो कि हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं का कहना है कि एएसआई के मुताबिक. यह कहा जा सकता है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले यहां पर एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। ASI की रिपोर्ट का हवाले देते हुए उन्होंने कहा की मस्जिद की पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का हिस्सा है।
मंदिर की प्रति को मिटाने का प्रयास-
उन्होंने कहा कि दिवार पर देवनागरी, कन्नड़ और तेलुगु में 32 हिंदू मंदिरों के शिलालेख पाए गए। एएसआई रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर की प्रति को मिटाने का प्रयास किया गया है। पिछले साल 21 जुलाई को पारित जिला अदालत ने एक आदेश के बाद एएसआई ने यह निर्धारित करने के लिए ज्ञानवापी परिषद का सर्वेक्षण किया था कि क्या मस्जिद निर्माण से पहले यहां पर हिंदू मंदिर मौजूद था। हिंदू याचिका कर्ताओं मुताबिक यह दावा किया गया है कि 17वीं सदी में मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया है। अदालत में सर्वेक्षण के आदेश दिए थे एएसआई ने 18 दिसंबर को सील बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट जिला को सौंप थी। जिसके बाद इसे सार्वजनिक करने की मांग की जा रही थी।
वर्तमान पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद हिंदू मंदिर का हिस्सा-
वहीं गुरुवार को मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सर्वेक्षण रिपोर्ट में एक बड़े हिंदू मंदिर के सबूत मिले हैं, जो की मस्जिद के निर्माण से पहले थे। एएसआई ने कहा है की मस्जिद के विस्तार और शहर के निर्माण के लिए मौजूदा इस्तेमाल किए गए, खंभो पर प्लास्टर का व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीकों से अध्ययन किया गया था। उन्होंने कहा की मस्जिद की वर्तमान पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद हिंदू मंदिर का हिस्सा है। इसी का कहना है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। उनका दावा है कि एएसआई ने कहा है कि हिंदू देवताओं की मूर्तियां और नक्काशी दर वास्तु शिल्प सदस्य डंप की गई मिट्टी के नीचे दबे हुए पाए गए हैं।
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शिलालेखों में उल्लेख-
मौजूदा वास्तु शिल्प अभिषेक दीवारों पर सजाए गए सांचे और एक बड़ा सजाया हुआ प्रवेश द्वार, व्यक्तित्व छवि वाला एक छोटा द्वारा और अंदर बाहर सजावट के लिए नकाशी किए गए पक्षियों और जानवरों से पता चलता है कि पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है। एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी, फारसी शिलालेखों में उल्लेख है की मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के बीच में शासन काल में किया गया था। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले से मौजूद संरचना सत्र भी शताब्दी में ही नष्ट हो चुके थे। वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर अवशेषों का अध्ययन उजागर हुआ। कलाकृतियां, कला और मूर्तियों को देखकर कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था।
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