बिहार की राजनीति में हलचल की वजह से जल्दी यह माना जा रहा है कि नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं। इसी बीच प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया और नीतीश ने इंडिया गठबंधन छोड़ने और राज्य भाजपा के साथ फिर से जुड़ने की चर्चाओं के बीच पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक बयान दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के बाहर निकलने से विपक्षी गठबंधन पर ज्यादा असर नहीं होगा। ममता बनर्जी ने 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज भवन में एक कार्यक्रम में मीडिया कर्मियों से बातचीत करने के दौरान कहा कि, मुझे लगता है नीतीश कुमार ने बिहार के लोगों की नजर में अपनी विश्वसनीयता को खो दिया है।
ममता बनर्जी-
ममता का कहना है कि अगर वह इस्तीफा देते हैं तो तेजस्वी यादव के लिए बिहार में सुचारू रूप से काम करना और आसान हो जाएगा। ममता ने यह तब कह दिया, जब हाल ही में ममता ने खुद घोषणा की थी, कि TMC पश्चिम बंगाल में आने वाली लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि क्षेत्रीय दल एकजुट रहेंगे और भविष्य में सभी निर्णय लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद ही लिए जाएंगे।
नीतीश कुमार का स्तीफा-
इस सबके बीच फिर सत्ता पलट लगभग तय हो चुका है, जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार 28 जनवरी को राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तिफा सौंप देंगे और उसी दिन बीजेपी के सहयोग से अपनी सरकार बनाने का दाव भी पेश कर देंगे। जानकारी के मुताबिक, बदले माहौल में RJD भी अपनी रणनीति तैयार कर रही है। पार्टी के मुख्य लालू यादव कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में नई सरकार बनाने की संभावनाएं देख रहे हैं।
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लालू की पार्टी-
बताया जा रहा है कि लालू की पार्टी की तरफ से JDU में तोड़फोड़ की संभावनाएं भी जताई जा रही है। RJD को पता है कि अगर नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के साथ मिल गए थे और सरकार बनाने में सफल हो गए तो फिर लोकसभा के साथ ही अगले साल होने वाले असेंबली चुनाव में भी खड़ा होना में भी बड़ा नुकसान होगा। अब देखना यह है कि आने वाले समय में बिहार के राजनीतिक किस तरफ करवट लेगी।
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