जूली चौरसिया
आज ईडी सभी राजनितिक पार्टियों के घोटालों को खंगाल कर छापे मार रही है। अब तक ED को इन छापों से अरबों खरबों रुपए बरामत हुए है, जिसे काला धन कहा जाता है। लेकिन इन छापों में जो पैसे बरामत किए गए हैं वह आखिर कहा जानें वाले हैं। इसे लेकर बहुत से सवाल उठ रहे हैं। अब इसका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल मेरठ में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यह अरबों खरबों रुपए जो ईडी के द्वारा जप्त किए गए हैं वह जनता को वापस दिए जाएंगे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि “आपको पैसे वापस दिलवाने के लिए यह मोदी जी जान से लड़ने वाला है।”
सूत्रों के हवाले से, यह बात सिर्फ रैली तक ही सिमित नहीं रही बल्कि बनारस में भाजपा के नेताओं की मिटिंग में भी पीएम मोदी ने कहा कि जो पैसा ईडी ने जप्त किया है वह जिसका है उसे वापस दिया जाएगा, अगर उसके पास सबूत है तो, यानी मोदी का कहना है कि यह अरबों खरबों रुपए जिसके हैं उसे वापस दिए जाएंगे। अब सवाल यह है कि आचार संहिता लागू हो चुकी है और कुछ ही दिनों में चुनाव भी होने वाले हैं तो क्या यह ईडी द्वारा जप्त किए गए पैसों की बात करना, लोगों को वापस करने की बात करना, क्या यह सिर्फ एक चुनावी जुमला (Political Stunt) है।
सिर्फ एक चुनावी जुमला (Political Stunt)?
सिर्फ एक चुनावी जुमला, यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि साल 2014 में जब चुनाव हुए थे। तब मोदी सरकार ने चुनाव से पहले लोगों से यह कहा था कि जनता के खाते में 15-15 लाख रुपए आएंगे। उस वादे का क्या हुआ यह तो सभी जानते है। लेकिन चुनाव के बाद एक इंटरव्यू के दौरान जब अमित शाह से यह सवाल पूछा गया कि लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपए क्यों नहीं आए या उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया। तो इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा था कि “15-15 लाख किसी के में नहीं जाते यह सिर्फ एक चुनावी जुमला था।” यानी उस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुद यह कहा था कि यह सिर्फ एक जुमला था। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या ईडी द्वारा ज़प्त किए गए रुपयों को लोगों तक वापस लौटाने वाली बात भी सिर्फ चुनावी जुमला है और कुछ नहीं है। इसके साथ ही यह भी सवाल है कि ईडी द्वारा जप्त किया गया पैसा क्या सच में लोगों को दिया जा सकता है। क्या लीगली यह सच में पॉसिबल हो सकता है?
पैसा वापस मिलना लीगली पॉसिबल?
कानूनी विषेशज्ञों के मुताबिक, जब कोई पैसा ईडी के द्वारा ज़प्त किया जाता है तो वह पैसा किसका है कहां ये लिया गया है। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता। क्योंकि अगर कोई व्यक्ति किसी नेता या अधिकारी को रिश्वत देता है तो इसके बारे में उनके अलावा इसकी जानकारी किसी को नहीं होती। क्योंकि यह गैर-कानूनी होता है तो जिसका पैसा है उसका पता ही नहीं तो उसे वापस कैसे दिया जाएगा। दूसरी बात यह है कि जब ईडी द्वारा कही छापा मारा जाता है तो वह पैसा सरकारी पैसा होता है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता। इसलिए किसी को वह पैसा वापस करना यह तो लीगली पॉसिबल है ही नहीं। कानूनी विषेशज्ञों के मुताबिक यह सिर्फ एक पॉलिटिकल स्टंट हो सकता है क्योंकि यह लीगली पॉसिबल ही नहीं है। आईए इसे एक उदारण से भी समझते हैं-
कानूनी विषेशज्ञों के मुताबिक, मान लिजिए किसी रिश्वत खोर के पास से 400 करोड़ रुपए बरामत हुए। अब जिसने रिश्वत दी है उसे उस पैसे के बारे में जानकारी है जो उसने उस रिश्वत खोर को दिए थे। अब अपने पैसे वापस लेने के लिए वह कोर्ट जाता है तो वह केस कम से कम 20 से 25 साल चलेगा। उससे ज्यादा भी जा सकता है। कानूनी विषेशज्ञों के मुताबिक, कई मामलों में ऐसा भी होता है कि पैसे लेने वाले की उमर निकल जाती है लेकिन केस चलता रहेगा है। फिर उसे केस का पैसा मान लिया जाता है। जप्त किया गया पैसा सरकारी होता है।
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राजनितिक विशेषज्ञों कहा क्या कहना है?
अब सवाल यह उठता है कि जब यह लीगली पॉसिबल ही नहीं है तो पीएम मोदी ने ऐसा क्यों कहा? राजनितिक विशेषज्ञों के मुताबिक, इस समय सोशल मीडिया पर ईडी चर्चा में बना हुआ है। साथ ही विपक्ष का यह कहना है कि ईडी सरकार के कहने पर चल रही। इन सभी बातों ने जनता पर असर डाला है। लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है कि ईडी अगर सरकार के कहने पर चल रही है तो यह पैसा किसके पास जाएगा। राजनितिक विशेषज्ञों के मुताबिक, इन सभी बतों को ध्यान में रखते हुए। पीएम मोदी ने यह चुनावी स्टन खेला है। अब यह आप पर है कि आप इसे क्या मानते हैं।
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यह लेख विशेषज्ञों की राय पर आधारित है, इसका उद्देश्य किसी राजनितिक पार्टी या व्यक्ति के खिलाफ कोई दुष्प्रचार करना या किसी को झूठा साबित करना नहीं है।